‘मिशन 84’: हारी हुई सीटों के लिए BJP ने बनाया खास प्लान, CM योगी पर होगा जिम्मा

शिल्पी सेन

• 09:16 AM • 29 Sep 2021

उत्तर प्रदेश में साल 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए तमाम राजनीतिक दलों के साथ-साथ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी अपनी तैयारियां तेज…

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उत्तर प्रदेश में साल 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए तमाम राजनीतिक दलों के साथ-साथ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. इस बीच यूपी बीजेपी ‘मिशन 84’ पर भी खास ध्यान देने जा रही है. इस मिशन को आगे ले जाने की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ली है.

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यह मिशन 403 सदस्यीय यूपी विधानसभा की 84 सीटों से जुड़ा है, चलिए इस बारे में जानते हैं:

बुधवार को सीतापुर के सिधौली में सीएम योगी ने जनसभा कर करोड़ों रुपयों की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया. यह वो विधानसभा क्षेत्र है, जहां से बीएसपी के हरगोविंद भार्गव विधायक हैं. 2017 में बीजेपी को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था, तो वहीं 2012 में समाजवादी पार्टी के मनीष रावत यहां से जीते थे.

हाल ही में सीएम योगी बाराबंकी भी पहुंचे और उन्होंने GIC के ऑडिटोरियम में सभा की. यह क्षेत्र नवाबगंज विधानसभा के तहत आता है. इस विधानसभा सीट से 2012 और 2017 में समाजवादी पार्टी के धर्मराज यादव जीते हैं. वैसे योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण आसपास की विधानसभाओं के लिए भी किया गया, पर देखा जाए तो सीएम की जनसभा के लिए सीटों का चयन बहुत सोच समझकर किया गया है.

दरअसल यह बीजेपी की उस चुनावी रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत खुद मुख्यमंत्री और पार्टी के शीर्ष नेता उस सीटों पर पहुंचेंगे, जहां बीजेपी के विधायक नहीं हैं.

सीतापुर और बाराबंकी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा पर अवध क्षेत्र के प्रभारी महामंत्री अमरपाल मौर्य कहते हैं, ”इन सीटों पर मुख्यमंत्री जी का दौरा इसलिए भी (अहम) है कि हम लोग विकास और कार्यक्रम के लिए सभी सीटों पर जाते हैं, सिर्फ जीती हुई सीटों पर नहीं.”

हारी हुई सीटों पर पहले होमवर्क

बीजेपी के रणनीतिकारों के मुताबिक, यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में 350 सीटों के लक्ष्य को पार करने के लिए उन सीटों पर होमवर्क करना जरूरी है, जो सीटें इस समय पार्टी के पास नहीं हैं. अगर आंकड़ों पर एक नजर डालें तो आज की स्थिति में वे 84 सीटें बीजेपी के पास नहीं हैं, जिन पर पार्टी का खास फोकस है. इनमें वो सीटें भी हैं जो बीजेपी ने उपचुनाव में गंवा दीं.

वहीं अगर ओम प्रकाश राजभर की पार्टी से गठबंधन टूटने की बात करें तो भी बीजेपी को उन सीटों का नुकसान हुआ है जिन सीटों पर राजभर की पार्टी जीती. बीजेपी ने 2017 में 384 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इसमें से 312 सीटों पर पार्टी को जीत हासिल हुई थी.

बीजेपी अब उन सीटों पर खास फोकस रखना चाहती है, जहां पार्टी के अपने या सहयोगी अपना दल (एस) के विधायक नहीं हैं. इस लेकर वरिष्ठ पत्रकार दिनेश पाठक कहते हैं, ”बीजेपी बहुत सुनियोजित तरीके से काम करती है. पार्टी के रणनीतिकारों को पता है कि वो सभी सीटें जो पार्टी ने 2017 में जीती थीं वो (सब) अब नहीं जीतने जा रही. इसके लिए नई या उन सीटों पर होमवर्क बहुत जरूरी है जो अभी बीजेपी के पास नहीं हैं. ऐसे में अगर अभी से वहां दौरे और कार्यक्रम किए जाएं तो जब तक दूसरे दलों का चुनाव प्रचार तेज होगा, बीजेपी इन सीटों का काफी काम पूरा कर चुकी होगी.”

वहीं बीजेपी के प्रदेश महामंत्री और अवध क्षेत्र के प्रभारी अमरपाल मौर्य कहते हैं, ”बीजेपी हमेशा सभी सीटों पर काम करती है. जो सीटें हम नहीं जीत पाए उन सीटों पर तो विशेष रूप से काम करना होता है.”

क्या होगा तरीका?

जानकारी के मुताबिक, पार्टी ने इन सीटों के लिए पूर्व योजना के तहत फीडबैक लिया है. इसमें जिलों के प्रभारी मंत्रियों और पदाधिकारियों ने भी अहम भूमिका निभाई है. फिर पार्टी ने ये तय किया कि इन क्षेत्रों में कौन सी ऐसी योजनाएं हैं, जिनका लोगों को लंबे समय से इंतजार है और जिनका शिलान्यास या लोकार्पण किया जा सकता है.

इन सीटों के लिए सबसे खास रणनीति यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सीटों का दौरा करें और वहां योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करें. साथ ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी वहां जाकर लोगों को संबोधित करें.

सरकार के मुखिया और संगठन के मुखिया दोनों अब ऐसे विधानसभा सीटों वाले क्षेत्रों में दौरे करेंगे. वरिष्ठ पत्रकार दिनेश पाठक कहते हैं कि इस तैयारी और अभी इन सीटों पर कार्यक्रम और जनसभा का फायदा बीजेपी को मिल सकता है क्योंकि विकास परियोजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण से सिर्फ उस क्षेत्र पर ही नहीं आसपास के क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ता है.

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