अखिलेश पर निशाना साध केशव मौर्य बोले- ‘जो राम का नहीं हुआ, वह परशुराम का क्या होगा?’

भाषा

• 01:59 PM • 03 Jan 2022

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार को कहा कि यूपी विधानसभा के आगामी चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी (एसपी) प्रमुख अखिलेश यादव…

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उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार को कहा कि यूपी विधानसभा के आगामी चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी (एसपी) प्रमुख अखिलेश यादव विदेश चले जाएंगे.

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उपमुख्यमंत्री मौर्य ने सोमवार को बलिया के सिकंदरपुर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पिछड़ा वर्ग सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा और कानपुर-कन्नौज में कारोबारी के यहां छापे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘समाजवादी इत्र की खुशबू जब से फैली है, अखिलेश यादव के चेहरे पर 12 बज गए हैं और उनके हलक से आवाज नहीं निकल रही है.’’

मौर्य ने कहा, ”अखिलेश कटघरे में हैं, वह इस बार 47 का आंकड़ा पार नहीं कर पाएंगे और बीजेपी की जीत के बाद अखिलेश विदेश चले जाएंगे.’’

मौर्य ने कहा, ‘‘कारसेवकों पर गोली और कांवड़ियों पर लाठी बरसाने वालों को अचानक राम की याद आने लगी है, कल अखिलेश जी परशुराम जी की प्रतिमा लगाकर पूजा कर रहे थे.’’

उन्होंने कहा कि जो राम का नहीं हुआ वह परशुराम का क्या होगा. उन्होंने अखिलेश यादव से सवाल किया कि 2014 के पहले वह कब राम लला की जन्मभूमि, बाबा विश्वनाथ की धरती और कृष्ण जन्मभूमि पर गए थे. मौर्य ने कहा कि जब जनता 2014 में जागी और एसपी का सूपड़ा साफ कर दिया, तब अखिलेश यादव को मंदिर और भगवान का दरबार याद आने लगे. उन्होंने कहा कि इन ‘चुनावी हिंदुओं’ से सावधान रहना है.

इसके साथ ही मौर्य ने कहा, ‘‘सबसे बड़ा परिवर्तन यह आया है कि एसपी का प्रचार करने वाले और गुंडे लाल टोपी लगाकर जालीदार टोपी जेब में रखने लगे हैं.’’ उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अखिलेश यादव 2022 नहीं, अब 2027 की तैयारी करें, एसपी अब इतिहास के पन्नों में दर्ज होगी.

उन्होंने कहा कि बीजेपी की 2014 में आंधी और 2019 से सुनामी चल रही है, इसके आगे एसपी-बीएसपी-कांग्रेस पत्ते की तरह बिखर जाएंगी, उन्हें 2022 के लिए प्रयास बंद कर देना चाहिए.

बता दें कि 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश विधानसभा की 403 सीटों में सिर्फ 47 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अकेले 312 और उसके सहयोगियों ने 13 सीटें जीती थीं. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को भारी जीत मिली थी.

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