अलीगढ़: कौन थे राजा महेंद्र प्रताप, जिनके नाम पर यूनिवर्सिटी का PM मोदी करेंगे शिलान्यास

शिल्पी सेन

• 01:23 PM • 08 Sep 2021

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तेज हुई सियासी हलचल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलीगढ़ में 14 सितंबर को…

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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तेज हुई सियासी हलचल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अलीगढ़ में 14 सितंबर को जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करेंगे. इससे पहले बुधवार, 8 सितंबर को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अलीगढ़ पहुंचे और उन्होंने तैयारियों की समीक्षा की. बीजेपी इस यूनिवर्सिटी के मुद्दे पर काफी सक्रिय दिख रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर राजा महेंद्र प्रताप सिंह थे कौन और उनके नाम पर यूनिवर्सिटी बनने के क्या मायने होंगे?

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जिन्ना के घोर विरोधी थे महेंद्र प्रताप सिंह?

राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने 1915 में अफगानिस्तान में भारत की अंतरिम सरकार बनाई थी. जिन्ना के घोर विरोधी माने जाने वाले राजा महेंद्र प्रताप के बारे में यह दावा किया जाता है कि उन्होंने 1930 में महात्मा गांधी को लेटर लिखकर उन्हें जिन्ना के इरादों पर आगाह किया था और कहा था कि ”जिन्ना जहरीला सांप है, गले मत लगाइए.”

उनके बारे में ये बात भी कम ही लोग जानते हैं कि उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई संस्थाओं को अपनी जमीन दान में दी थी. वृंदावन में प्रेम महाविद्यालय के लिए और बीएचयू के लिए भी उन्होंने अपनी कुछ जमीन दान में दी थी.

पिछले कुछ सालों में राजा महेंद्र प्रताप सिंह तब चर्चा में आ गए, जब लोगों ने इस बात को कहना शुरू किया कि महेंद्र प्रताप सिंह ने अलीगढ़ में विश्वविद्यालय (एएमयू) खोलने के लिए अपनी जमीन दी थी, लेकिन उनका नाम यूनिवर्सिटी में अंकित नहीं किया गया. ऐसे में एएमयू (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) का नाम बदलने की मांग भी समय-समय पर उठती रही है.

हालांकि इस सबके बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फैसला किया कि राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर ही यूपी सरकार स्टेट यूनिवर्सिटी बनाएगी. सीएम योगी ने 14 सितंबर 2019 को विश्वविद्यालय के निर्माण की घोषणा की थी.

यूनिवर्सिटी को लेकर क्या तैयारी है?

जाट राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर बनने वाले विश्वविद्यालय के लिए करीब 100 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार हो चुकी है.

विश्वविद्यालय के लिए जो जमीन फाइनल की गई है, वो लोधा और मूसेपुर गांव में है और 93.41 एकड़ की जमीन पर इसके निर्माण की योजना बनाई गई है. यह प्रोजेक्ट 101.41 करोड़ रुपये का है.

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