वाराणसी में 39 लाख की लागत से बने नए PHC का उद्घाटन ही हो गया एक्सपायर्ड दवाइयों से, कौन जिम्मेदार?

Varanasi News: यूपी के वाराणसी में तब हड़कंप मच गया जब यहां एक पीएचसी के उद्घाटन के वक्त एक्सपायर्ड दवाइयां मिल गईं. मामले पर जब यूपी Tak ने जिम्मेदार लोगों से बातचीत की तो सबने अलग-अलग जवाब दिया.

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रोशन जायसवाल

• 11:20 AM • 20 Jun 2025

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Varanasi News: उत्तर प्रदेश के वाराणसी से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. बता दें कि वाराणसी में नए शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का जोर शोर से उद्घाटन हुआ. मगर उद्घाटन के वक्त ही वितरण में एक्सपायरी दवाएं सामने आ गईं, जिससे हड़कंप मच गया. इस पूरे मामले पर वाराणसी के CMO डॉ. संदीप चौधरी ने स्वीकार किया कि 'शिफ्टिंग की वजह से ऐसा हुआ है' और 'यह लापरवाही है और इस पर कार्रवाई भी होगी.'

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यह हैरान कर देने वाली घटना वाराणसी के आदी विशेश्वर वॉर्ड के पत्थरगली स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की है. लगभग एक साल की मेहनत के बाद 39 लाख की लागत से PHC बनकर तैयार हुआ. मुस्लिम बाहुल्य इलाके में पहले इसी स्थान पर अवैध बूचड़खाना चलता था, लेकिन फिर तमाम कोशिशों के बाद इलाके की सूरत नए PHC से बदल गई. पूजन-पाठ करके क्षेत्रीय BJP विधायक ने PHC का लोकार्पण किया, लेकिन सारी तैयारियों पर उस समय पानी फिर गया जब PHC की फार्मेसी पर दवाओं के बीच कई एक्सपायरी दवाएं और सुईयां भी वितरण को तैयार हो गईं.  

जब इन दवाओं को ध्यान से देखा गया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. पहली दवा ओंडेनसेट्रोन इंजेक्शन थी, जो उल्टी न रुकने पर दी जाती है. इस दवा की बैच संख्या ONG-53 थी और यह जून 2023 में बनी थी, लेकिन मई 2025 में ही एक्सपायर हो चुकी थी.  दूसरी दवा पोटेशियम क्लैवुलनेट थी, जो बैक्टीरियल संक्रमण रोकने के लिए दी जाती है. इसका बैच नंबर BT230353 था और यह भी जून 2023 में बनी थी, जो मई 2025 में एक्सपायर हो चुकी थी. ये दोनों ही दवाएं मरीजों को ठीक करने के लिए होती हैं, लेकिन अगर कोई गलती से इन एक्सपायरी दवाओं का सेवन कर ले या शरीर में इंजेक्ट कर ले तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. लेकिन वाराणसी के इस नए PHC में ये दोनों ही दवाएं मरीजों को देने के लिए तैयार रखी थीं. 

 

 

जब यूपी Tak की नजर इन दवाओं की एक्सपायरी पर पड़ी, तो सबसे पहले PHC के इंचार्ज डाॅ. सौरभ पांडेय से इस विषय में सवाल किया गया, तो उनका जवाब चौंकाने वाला था. उन्होंने कहा कि नए PHC में सामान शिफ्ट करते समय हो सकता है कि 'कूड़े से दवा वितरण तक आ गई हो." हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि 'आइंदा ऐसा नहीं होगा.' लेकिन वे सीधे तौर पर अपनी गलती मानने को तैयार नहीं थे. 

फार्मासिस्ट दीपक सिंह ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि ये दवाएं 'बाइमिस्टेक आ गई हैं' और उन्होंने इसे ब्लंडर माना. वहीं, इलाके के पार्षद इंद्रेश सिंह का जवाब डॉक्टर और फार्मासिस्ट से भी अलग निकला. उन्होंने बताया कि यह PHC पहले किसी किराए की जगह पर चल रहा था, जहां से सारा सामान समेटा गया है और 'कल से सब कुछ ठीक हो जाएगा.' उन्होंने यह भी कहा कि अभी 'सब अस्त-व्यस्त चल रहा है, गलती को सुधारा जाएगा और CMO को पूरी घटना से अवगत कराया जाएगा.'

इस पूरे मामले पर वाराणसी के CMO डॉ. संदीप चौधरी ने स्वीकार किया कि 'शिफ्टिंग की वजह से ऐसा हुआ है' और 'यह लापरवाही है और इस पर कार्रवाई भी होगी.'

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