ज्ञानवापी में मिला शिवलिंग? जानें रिपोर्ट, वायरल वीडियो पर क्या बोले सहायक एडवोकेट कमिश्नर

रोशन जायसवाल

• 05:20 AM • 17 May 2022

वाराणसी के चर्चित श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मामले में लगातार 3 दिनों तक चले एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे और वीडियोग्राफी की रिपोर्ट 17 मई, मंगलवार…

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वाराणसी के चर्चित श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मामले में लगातार 3 दिनों तक चले एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे और वीडियोग्राफी की रिपोर्ट 17 मई, मंगलवार को नियत समय पर कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हो पाएगी. इसका खुलासा खुद सहायक एडवोकेट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने कर दिया है. वहीं, सहायक एडवोकेट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा है, “वजूखाने का वीडियो सही है. इसमें दिख रही आकृति को हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है.”

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आपको बता दें कि इस बीच एक वीडियो सामने आया है, जिसे ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने का बताया जा रहा है. वायरल वीडियो में गोलाकार शेप में कटे पत्थर के बीच एक आकृति दिखाई दे रही है, जिसे शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ इस आकृति को फव्वारा होने का दावा भी किया जा रहा है. वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग उस स्थान की सफाई कर रहे हैं.

सहायक एडवोकेट कमिश्नर ने बताया,

ने बताया कि 3 दिन 14, 15 और 16 मई को सुबह 8:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक सर्वे का काम हुआ. आज 17 मई को न्यायालय में रिपोर्ट सौंपने थी, लेकिन किन्हीं कारणों से रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है. इसलिए आज कोर्ट में रिपोर्ट सबमिट नहीं हो पाएगी. आज न्यायालय में एप्लीकेशन देकर रिपोर्ट सबमिट करने के लिए अगली तारीख ली जाएगी और मिले समय के अनुसार आगे सर्वे की रिपोर्ट सबमिट की जाएगी.

अजय प्रताप सिंह

उन्होंने आगे बताया कि सर्वे के दौरान काफी वीडियो और फोटो लिए गए हैं. उन्होंने वजूखाने के वायरल हो रहे वीडियो की भी पुष्टि कर दी है और बताया कि इसी को हिंदू पक्ष शिवलिंग बता रहा है.

गौरतलब है कि वाराणसी की एक स्थानीय अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर किए गए सर्वे का काम सोमवार को समाप्त हुआ. हिन्दू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिला है. इसके बाद अदालत ने जिला प्रशासन को कथित शिवलिंग तथा उसके पाए जाने के स्थान को सील करके वहां किसी के भी जाने पर पाबंदी लगा दी है.

हालांकि मुस्लिम पक्ष शिवलिंग मिलने के दावे को गलत ठहरा रहा है. उसका कहना है कि मुगल काल की मस्जिदों में वजू खाने के अंदर फव्वारा लगाए जाने की परंपरा रही है. उसी का एक पत्थर सर्वे में मिला है, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है.

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