UP News: वाराणसी जिला प्रशासन की मनमानी जिला प्रशासन पर बहुत भारी पड़ गई. वाराणसी जिला प्रशासन ने जज के आदेशों की अनदेखी की, जिसका असर ये पड़ा कि 800 लोगों का वेतन फंस गया. दरअसल जज के आदेश ना मानने पर भूमि अर्जन प्राधिकरण के जज (पीठासीन अधिकारी) ने कलेक्टर (जिलाधिकारी) का खाता सीज कर दिया. इस वजह से 800 कर्मचारियों का वेतन और एरियर फंस गया.
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वाराणसी जिला प्रशासन की मनमानी की वजह से वाराणसी के तीनों तहसील राजातालाब, पिंडरा और सदर तहसील के लगभग 800 कर्मचारियों का वेतन और एरियर फिलहाल रुक गया है और हर तरफ वाराणसी जिला प्रशासन की मनमानी चर्चाओं में है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल बरेका के भूमि अर्जन मामले में मुआवजे का केस चल रहा है. भूमि स्वामी कई वर्षों तक कलेक्टर से लेकर भूमि अर्जन अधिकारी के दफ्तर में चक्कर लगाकर परेशान हो चुका था. इसपर फरियादी ने भूमि अर्जन पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकरण के पीठासीन अधिकारी के समक्ष अपील दायर कर दी.
इस पर प्राधिकरण ने जिला प्रशासन को तत्काल भूमि स्वामी का 10,70,026 रुपए बढ़े हुए मुआवजे के साथ अदा करने का आदेश जारी कर दिया. मगर जिला प्रशासन की ओर से जज के आदेशों की अनदेखी कर दी गई. ये जान प्राधिकरण के पीठासीन अधिकारी किरण पाल सिंह ने जिलाधिकारी का सिविल हेड खाता संख्या 2029 सीज कर दिया.
और नहीं आया वेतन
बता दें कि जिला प्रशासन ने जज के आदेश की अनदेखी की और इस वजह से जिला प्रशासन के 800 कर्मचारियों का वेतन रुक गया. वाराणसी के तीनों तहसील राजातालाब, सदर और पिंडरा के CRA अनुभाग के लगभग 800 कर्मचारी, लेखपाल, संग्रह अमीन, संग्रह अनुसेवक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, कानूनगो और अन्य का वेतन रुक गया है.
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