रामपुर: महिला रसोइयों को 4 महीने से नहीं मिला मानदेय, सरकार से पूछा, कैसे मनाएं दिवाली?

आमिर खान

• 10:30 AM • 02 Nov 2021

उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में परिषदीय स्कूलों में मिड-डे-मील तैयार करने वालीं रसोइयों की दिवाली इस बार फीकी हो सकती है. क्योंकि उन्हें पिछले…

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उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में परिषदीय स्कूलों में मिड-डे-मील तैयार करने वालीं रसोइयों की दिवाली इस बार फीकी हो सकती है. क्योंकि उन्हें पिछले कई महीनों से मानदेय नहीं मिला है. रामपुर जिले में भी महिला रसोईयों को पिछले 4 महीनों से मानदेय नहीं मिला है. जिससे उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है.

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रामपुर के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा के साथ ही मिड-डे-मील के रूप में मैन्यू के मुताबिक उनके दोपहर के भोजन की व्यवस्था की जाती है. इस भोजन को बनाने के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक विद्यालय पर बच्चों की तादाद के हिसाब से महिला रसोइयां नियुक्त की गई हैं. जिनको मई-जून के महीने को छोड़कर साल के सभी महीने में 1500-1500 रुपये के हिसाब से मानदेय दिया जाता है.

पिछले 4 महीने से इन रसोइयों को उनका मानदेय अब तक नहीं मिल सका है, जबकि जिले में कुल 3800 महिला रसोइयां नियुक्त हैं. जब इन सभी को मानदेय ना मिलने को लेकर इसकी पड़ताल जनपद के तहसील स्वार क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम सेंटा खेड़ा स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में जाकर की गई तो यहां पर तैनात महिला रसोइयां मानदेय ना मिलने को लेकर अपना दर्द बयान करने से खुद को रोक नहीं पाई.

महिला रसोइयां का यह भी दर्द है कि 2 दिन के बाद दीपावली है और उन्हें अब तक 4 महीने से मानदेय नहीं मिला है. वहीं, बेसिक शिक्षा अधिकारी कल्पना सिंह ने सभी रसोइयों को दीपावली से पहले उनका मानदेय उनके बैंक खाते में पहुंच जाने का आश्वासन दिया है.

रामपुर में गांव खेड़ा स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत इन्द्रावती स्कूल में बच्चों के लिए खाना बनाती हैं. वह बताती हैं कि 4 महीने से उनका मानेदय नहीं मिला है. परिवार का खर्चा चलाने के लिए उन्हें स्कूल के शिक्षकों से उधार लेना पड़ता है. परेशानी से टेंशन होने के कारण उन्हें नींद नहीं आती है.

अन्य रसोइयां पुष्पा इसी स्कूल में पिछले 3 साल से बच्चों के लिए खाना बनाने से लेकर बर्तन मांजने तक का काम करती है. उन्हें भी पिछले 4 महीने से मानदेय नहीं मिला है. उनका कहना है हम तो यही चाहते हैं कि हमारी तनख्वाह मिलनी चाहिए और बढ़कर मिलनी चाहिए. हम इतनी मेहनत कर रहे हैं. ठंड में सुबह आ जाते हैं. खाना बनाने से लेकर बर्तन मांजने तक पूरा दिन निकल जाता है. इसके बाद भी हमें मानदेय नहीं मिलता है.

रसोइयां कुसुम के अनुसार, सेटा खेड़ा के सरकारी स्कूल में खाना बनाते हैं. गरीब घर के हैं. बहुत परेशानी से गुजर रहे हैं. लॉकडाउन से करीब 4 महीने हो गए हैं, लेकिन अभी तक मानदेय नहीं आया है.

वहीं, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कल्पना सिंह का कहना है कि जिन रसोइयों का मानदेय अप्रैल से नहीं आया है उनके खाते में जल्द ही मानदेय पहुंच जाएगी. इस संबंध में पूरी कार्यवाही कर ली गई है. कोशिश है कि दीपावली से पहले उन्हें मानदेय मिल जाए और वे अच्छे से दीपावली मनाएं. उन्हें हमारी तरफ से शुभकामनाएं.

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