विधायक निधि मामले में मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी खारिज

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माफिया से राजनेता बने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी सोमवार को खारिज कर दी. अंसारी वर्तमान में बांदा जेल…

पंकज श्रीवास्तव

• 04:42 PM • 13 Jun 2022

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माफिया से राजनेता बने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी सोमवार को खारिज कर दी. अंसारी वर्तमान में बांदा जेल में निरुद्ध है.

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न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कहा, “परिस्थितियों को समग्र रूप से देखने पर मुझे याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के लिए कोई उचित कारण नजर नहीं आता. इसलिए उसकी जमानत अर्जी खारिज की जाती है.”

अदालत ने कहा, “विधायक निधि करदाताओं की गाढ़ी मेहनत की कमाई है और कोई भी व्यक्ति इसका उपयोग अपने निजी हित में करने के लिए अधिकृत नहीं है.”

अदालत ने आगे कहा, “याचिकाकर्ता के खिलाफ कुल 54 मामले लंबित हैं और उसकी आयु करीब 58 वर्ष है. 58 वर्ष के एक व्यक्ति पर 54 मामले खुद उसके अतीत और आपराधिक इतिहास की कहानी बयां करते हैं.”

अदालत ने कहा, “आवेदक को उसकी कथित रॉबिन हुड वाली छवि की वजह से उत्तर प्रदेश में किसी परिचय की जरूरत नहीं है. वह एक दुर्दांत अपराधी है जो 1986 से अपराध की दुनिया में है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि उसने अपने खिलाफ एक भी अपराध सिद्ध नहीं होने दिया.”

उल्लेखनीय है राम सिंह नाम के एक व्यक्ति ने 24 अप्रैल, 2021 को तत्कालीन विधायक मुख्तार अंसारी समेत पांच लोगों के खिलाफ मऊ जिले के सराय लखनसी थाना में आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 और 120 बी में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.

जांच के दौरान पता चला कि मऊ जिले के सरवान गांव में आराजी संख्या 1109 और आराजी संख्या 1449 पर एक नए विद्यालय के निर्माण के लिए एक प्रस्ताव आमंत्रित किया गया. विधायक निधि से 25 लाख रुपये जारी कराने के लिए बैजनाथ यादव नाम के एक व्यक्ति ने अपने बेटे के साथ माफिया मुख्तार अंसारी और उसके साथी संजय सागर से संपर्क किया.

कथित विद्यालय गुरू जगदीश सिंह बैजनाथ पहलवान उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के निर्माण के लिए 2012-2015 के दौरान तीन किस्तों में यह राशि जारी की गई. प्राथमिकी में नामजद इन व्यक्तियों ने षड़यंत्र रचते हुए एक फर्जी प्रस्ताव भेजा और बैजनाथ यादव की पत्नी के नाम एक कृषि भूखंड आबंटित करा लिया जिस पर प्रस्तावित विद्यालय का निर्माण किया जाना था.

जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि उक्त आराजी संख्या की जमीन पर कोई विद्यालय नहीं पाया गया और आराजी संख्या 1109 पर 0.032 हेक्टेयर भूमि पर दीवार खड़ी की गई थी और बाकी हिस्से पर केले की खेती की गई थी.

इसी प्रकार, आराजी संख्या 1449 पर 0.196 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की खड़ी फसल पाई गई और इस प्रकार से करीब 25 लाख रुपये सरकारी धन का नामजद व्यक्तियों ने गबन कर लिया.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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