उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में बुधवार को पुलिस प्रशासन ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसने कानून के साथ-साथ मानवीय संवेदना की भी मिसाल पेश की. अलीगढ़ में एसएसपी नीरज जादौन ने 70 साल से अधिक उम्र के 58 बुजुर्ग हिस्ट्रीशीटरों की हिस्ट्रीशीट तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का निर्णय लिया है. दशकों पुराने इन मामलों से मुक्त होकर वृद्धों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई और उन्होंने पुलिस प्रशासन और सरकार का आभार व्यक्त किया.
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एसएसपी ने 58 बुजुर्गों से की विशेष बैठक
एसएसपी कार्यालय में बुधवार को आयोजित बैठक में 70 वर्ष से अधिक उम्र के सभी 58 बुजुर्ग हिस्ट्रीशीटरों को बुलाया गया. एसएसपी नीरज जादौन ने उनसे बात करते हुए कहा कि “अब आपको किसी थाने में हाजिरी देने की जरूरत नहीं है. आपकी हिस्ट्रीशीट आज से समाप्त कर दी गई है.” यह सुनते ही उपस्थित वृद्धों के चेहरे पर राहत और खुशी झलक उठ गई.
कानूनी प्रावधान के तहत लिया गया फैसला
एसएसपी नीरज जादौन ने बताया कि पुलिस रेगुलेशन के तहत एसपी को यह अधिकार है कि किस अपराधी की निगरानी रखनी है और किसकी हिस्ट्रीशीट बंद करनी है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने वर्षों पहले अपराध की दुनिया छोड़ दी है और अब समाज का हिस्सा बन चुके हैं, उन्हें बुजुर्गावस्था में परेशान करना उचित नहीं है.
थानों में हाजिरी से अब मिलेगी मुक्ति
इन वृद्ध हिस्ट्रीशीटरों को अब तक थानों में नियमित रूप से हाजिरी देनी पड़ती थी, जबकि अधिकांश चलने-फिरने में असमर्थ हैं. कुछ के पोते-पोतियां भी अब युवा हो चुके हैं. पुलिस के घर आने या थाने बुलाने से उन्हें सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ता था. इस बात को देखते हुए एसएसपी ने यह संवेदनशील निर्णय लिया.
बुजुर्गों ने जताया आभार
हिस्ट्रीशीट समाप्त होने की सूचना पाकर सभी वृद्धों ने एसएसपी और पुलिस विभाग का आभार व्यक्त किया. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य सरकार की भी प्रशंसा की. कई बुजुर्गों ने कहा कि यह फैसला उनके लिए जीवन का नया अध्याय खोलने जैसा है.
जनपद में वर्तमान में लगभग ढाई हजार हिस्ट्रीशीटर दर्ज हैं. इनमें से 70 वर्ष से अधिक आयु वाले 58 व्यक्तियों को इस निर्णय के तहत राहत दी गई है. यह फैसला न केवल मानवीय दृष्टिकोण से सराहनीय है, बल्कि ‘नए भारत के नए कानून’ की दिशा में उठाया गया एक सकारात्मक कदम भी माना जा रहा है.
सरकार की मंशा
एसएसपी नीरज जादौन ने कहा कि सरकार की मंशा साफ है कि जो लोग अपराध छोड़ चुके हैं, उन्हें सम्मानपूर्वक समाज की मुख्यधारा में जोड़ा जाए. पुलिस विभाग भी उसी नीति पर काम कर रहा है ताकि सुधार को प्रोत्साहन मिले और बुजुर्गों को सुकून भरा जीवन मिल सके.
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