Ram Mandir: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन यहां के मुस्लिम कारोबारी नहीं बेचेंगे मांस-मीट

Ram Mandir in Ayodhya: रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों के बीच पसमांदा मुस्लिम समाज के लोगों ने एक बड़ा फैसला किया है.

समर्थ श्रीवास्तव

08 Jan 2024 (अपडेटेड: 08 Jan 2024, 12:33 PM)

follow google news

22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों जोरों-शोरों से चल रही हैं. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों के बीच पसमांदा मुस्लिम समाज के लोगों ने एक बड़ा फैसला किया है.

यह भी पढ़ें...

पसमांदा मुस्लिम समाज के लोगों ने तय किया है कि 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर उद्घाटन के दिन मीट की दुकान बंद रखेंगे. उन्होंने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से मिलकर ज्ञापन सौंपा है.

ऑल इंडिया जमीयतुल कुरैश यूपी के उपाध्यक्ष की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, अवध क्षेत्र अयोध्या में श्री राम मंदिर जी की प्राण प्रतिष्ठा में सद्भावना बनाए रखते हुए सर्वसम्मान से निर्णय लिया गया है कि दिनांक 22 जनवरी को बिल्लौचपुरा, सदर कैंट, फतेहगंज, लाटूश रोड लखनऊ के समस्त मीट व्यवसायी अपना कारोबार बंद रखेंगे.

22 जनवरी को रामलला को गर्भ गृह में स्थापित कर दिया जाएगा. वहीं साल की पहली राम नवमी को अवतरण के वक्त भगवान का पहला अभिषक खुद भगवान सूर्य करेंगे. जैसे ही भगवान का प्रकाट्य होगा, सूर्य देव की किरणें सीधे भगवान के ललाट पर होगी.

सूर्य देव करेंगे पहला अभिषेक

ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने बताया है कि प्रभु श्रीराम की मूर्ति को इस प्रकार से बनाया गया है कि प्रत्येक वर्ष रामनवमी को भगवान सूर्य स्वयं श्रीराम का अभिषेक करेंगे. उन्होंने बताया कि भारत के प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह पर मूर्ति की लंबाई और उसे स्थापित करने की ऊंचाई को इस प्रकार से रखा गया है कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें प्रभु श्रीराम के ललाट पर पड़ेगी.

बेहद बारीकी से तैयार की गई है प्रभु की मूर्ति

ट्रस्ट की ओर से बताया गया है कि तीन शिल्पकारों ने प्रभु श्रीराम की मूर्ति का निर्माण अलग अलग किया, जिसमें से एक मूर्ति को प्रभु प्रेरणा से चुना गया है. चुनी गई मूर्ति की पैर से लेकर ललाट तक की लंबाई 51 इंच है और इसका वजन डेढ़ टन है. मूर्ति की सौम्यता का बखान करते हुए कहा गया कि श्यामल रंग के पत्थर से निर्मित मूर्ति में ना केवल भगवान विष्ण की दिव्यता और एक राजपुत्र की क्रांति है. बल्कि उसमें 5 साल के बच्चे की मासूमियत भी है. चेहरे की कोमलता, आंखों की दृष्टि, मुस्कान, शरीर आदि को ध्यान में रखते हुए मूर्ति का चयन किया गया है. 51 इंच ऊंची मूर्ति के ऊपर मस्तक, मुकुट और आभामंडल को भी बारीकी से तैयार किया गया है.

    follow whatsapp