BJP विरोध में राजपूतों ने लोटे में नमक डाल लिया था गजब का संकल्प, आखिर ये होता क्या है?

संदीप सैनी

• 05:10 PM • 17 Apr 2024

बीते दिन पश्चिम उत्तर प्रदेश की सरधना विधानसभा के खेड़ा गांव में राजपूत समाज की पंचायत का आयोजन हुआ था. इस दौरान राजपूत समाज के लोगों ने भाजपा के विरोध में लोटे में नमक डालकर कसम भी खाई थी. तभी से ये काफी चर्चाओं में बना हुआ है.

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UP News: राजपूत समाज का विरोध लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए भारी समस्या बन गया है. लाख जतन करने के बाद भी राजपूत विरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है. भाजपा का ये राजपूत विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. इसी बीच बीते मंगलवार के दिन पश्चिम उत्तर प्रदेश की सरधना विधानसभा के खेड़ा गांव में सोम-24 की पंचायत का आयोजन किया गया था.

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इस पंचायत में राजपूत समाज के हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था. इस पंचायत में भाजपा के खिलाफ बाते की गई और लोकसभा चुनावों में भाजपा का विरोध करने का संकल्प लिया गया. इस दौरान राजपूत समाज के लोगों ने लोटे में नमक डालकर भाजपा को वोट ना करने की कसम भी खाई. इस दौरान राजपूत समाज ने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने का काम किया जाएगा. बता दें कि इसके बाद से ही चर्चा में आ गया कि आखिर राजपूतों ने लोटे में नमक डालकर कसम क्यों खाई? आखिर इसका मतलब क्या होता है? इसी को लेकर UP Tak ने बुजुर्ग राजपूतों से बात की और जानना चाहा कि आखिर ये होता क्या है.

ये है लोटे में नमक डालकर कसम खाने का राज

UP Tak से बात करते हुए राजपूत समाज के बुजुर्गों ने लोटे में नमक डालकर कसम खाने को लेकर कहा कि ये पुराने जमाने में होता था. दरअसल जब पशु मर जाते थे तो उनपर नमक डालकर उन्हें जमीन में दबा दिया जाता था. इससे पशु का शरीर गल जाता था.

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राजपूत समाज के बुजुर्गों ने आगे बताया कि पुराने समय में लोग पढ़े-लिखे नहीं होते थे. इसलिए किसी काम को करने के लिए उन्हें लोटे में नकम डालकर कसम खिलाई जाती थी. इसके पीछे कहा जाता था कि अगर तुमने अपनी कसम तोड़ी तो तुम भी नमक से गल जाओगे और खत्म हो जाओगे. राजपूत समाज के बुजुर्गों ने कहा कि अब इन कसमों का कोई मतलब नहीं रह गया है. ये सब पुराने जमाने की बात हैं. 

भाजपा विरोध को लेकर बंटा हुआ राजपूत समाज

बता दें कि राजपूत समाज भाजपा विरोध को लेकर बंटा हुआ है. समाज का एक पक्ष तो भाजपा विरोध कर रहा है तो दूसरा पक्ष इस विरोध से अलग है और भाजपा के साथ है. राजपूत समाज के बुजुर्गों से बात करते हुए ये साफ पता चलता है कि भाजपा विरोध को लेकर राजपूत समाज में भी अपनी अलग-अलग राय है.

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