कानपुर: यूं पकड़े गए कछुए की तस्करी करने वाले गिरोह के 2 सदस्य, 1878 जिंदा कछुए बरामद

तनसीम हैदर

• 05:26 AM • 07 Feb 2022

एसटीएफ की कानपुर यूनिट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कछुए की तस्करी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने आरोपियों के…

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एसटीएफ की कानपुर यूनिट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कछुए की तस्करी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने आरोपियों के पास से 1878 जिंदा कछुए बरामद किए हैं. वन विभाग की टीम ने कछुओं को अपने कब्जे में लिया है. बता दें कि पुलिस ने कठुआ के रहने वाले जावेद और मोहम्मद फारुख नाम के तस्करों को गिरफ्तार किया है.

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मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश से कछुओं की 11 प्रजातियों का ‘अवैध व्यापार’ किया जाता है. बता दें कि जीवित कछुए के मांस या कछुओं की केल्प को सुखाकर इसका इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवाओं में किया जाता है.

ये कछुए उत्तर प्रदेश में चंबल, गंगा, गोमती और घागरा यमुना नदियों में पाए जाते हैं. एसटीएफ को सूचना मिली थी कि इटावा में बड़े स्तर पर कछुओं की तस्करी का काम किया जा रहा है. खबर है कि यहां से बांग्लादेश, म्यांमार के रास्ते चीन, हॉन्गकॉन्ग और मलेशिया में ये कछुए तस्करी कर बेचे जाते हैं.

आपको बता दें कि एसटीएफ की टीम ने इस गैंग के खुलासे के लिए अपना जाल बिछाया था, जिसके बाद इटावा और मैनपुरी में जांच के दौरान पश्चिम बंगाल जाने वाले एक ट्रक की सूचना मिली थी जिसे कानपुर के चकेरी इलाके में पुलिस ने बरामद कर लिया. इसी ट्रक में भारी मात्रा में कछुए मौजूद थे.

आरोपियों ने क्या बताया?

आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे जम्मू के रहने वाले हैं और ड्राइवरी का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि उक्त ट्रक में राजस्थान से माइका और क्लैट से संबंधित माल को उन्होंने लोड़ किया था, जिसको पश्चिम बंगाल ले जाना था. इसी बीच इटावा के कछुआ तस्कर कपूर से उनकी बातचीत हुई थी, जिन्हें वह पहले से जानते थे. आरोपियों के अनुसार, कपूर ने उन्हें बताया था कि कछुओं को छिपाकर पश्चिम बंगाल ले जाना है, जिसके एवज में 60000 रुपये मिलेंगे.

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