नवरात्रि (Navratri 2022) के दूसरे दिन मां भगवती ब्रह्मचारिणी की उपासना और आराधना की मान्यता है. माता का यह स्वरूप उनके नाम के अनुसार तपस्विनी है. यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या है. ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी-तप का आचरण करने वाली. कहा गया है कि ‘वेदस्तवं तपो ब्रह्म तात्पर्य वेद, तत्व एवं तप ब्रह्म शब्द के अर्थ हैं.
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वाराणसी में ब्रह्मचारिणी देवी का मंदिर दुर्गाघाट पर स्थित है. मंगलवार तड़के सुबह से ही मां के दरबार में मत्था टेकने और भगवती के दूसरे स्वरूप के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ जुटने लगी. पूरा वातावरण जय माता दी के उद्घोष के साथ गूंज उठा.
मां की उपासना से साधक और योगी स्वयं के मन को ‘स्वाधिष्ठान चक्र’ में स्थित कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं. ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं भव्य है. इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बायें हाथ में कमंडल शोभायमान है.
अपने पूर्व जन्म में जब ये हिमालय के घर पुत्री के रूप में प्राकट्य हुई थीं, तब नारद के उपदेश से उन्होंने कठिन तपस्या कर भगवान शंकर को पति के रूप में ग्रहण किया था.
इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. स्वार्थ सिद्धि और विजय और आरोग्य के लिए देवी की साधना अत्यन्त उत्तम होती है.
इस मामले से जुड़ी वीडियो रिपोर्ट को खबर की शुरुआत में शेयर किए गए Varanasi Tak के वीडियो पर क्लिक कर देखें.
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