उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक बोर्ड से संबद्ध संस्थानों में ‘छात्रवृत्ति घोटाले’ पर एफआईआर के आदेश दिए गए हैं. बता दें कि समाज कल्याण विभाग की तरफ से गठित की गई कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर करीब 48 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति गबन का मामला सामने आया, जिसके बाद एफआईआर दर्ज कर धन गबन करने वालों से वसूली का निर्णय लिया गया है.
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बीते 2 सालों से उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग में बिना मान्यता वाले संस्थानों में फर्जी विद्यार्थी दिखाकर छात्रवृत्ति गबन की जा रही थी. साल 2020-21 और 21-22 में कुल 47 करोड़ 63 लाख 98 हजार रुपये के गबन का मामला सामने आया है. समाज कल्याण निदेशक आरके सिंह, सहायक निदेशक सिद्धार्थ मिश्रा और सीनियर ऑडिटर नीरज की कमेटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है.
शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि संबद्धता विहीन 38 संस्थानों के 531 विद्यार्थियों को 1 करोड़ 67 लाख रुपये का भुगतान किया गया. जबकि ये छात्र इन संस्थानों के थे ही नहीं. साल 2020 और 21 में अनुसूचित जाति जनजाति के 6487 विद्यार्थियों को 27 करोड़ 94 लाख रुपये का भुगतान किया गया. ये सभी छात्रा फर्जी थे. इसी तरह 21- 22 में भी बिना 6425 फर्जी छात्रों को 12 करोड़ 57 लाख रुपये का भुगतान दिखाकर गबन किया गया. इसी तरह साल 2019-20 में भी 1018 फर्जी छात्रों को दिखाकर 4 करोड़ 48लाख रुपये का गबन किया गया.
जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद अब सरकार ने दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने जा रही है. वहीं इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू या एसआईटी को सौंपी जा सकती है. बता दें कि 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक के घोटालों की जांच ईओडब्ल्यू को ही दी जाती है.
इस संबंध में समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बातचीत में कहा कि ‘विभाग में तकनीक के सहारे भ्रष्टाचार को खत्म किया जाएगा. छात्रवृत्ति के नाम पर या फर्जी शिक्षकों के नाम पर धन के गबन की जांच करवाई जा रही है. अभी कुछ और मामले भी सामने आ सकते हैं, ऐसे सभी मामलों में एफआईआर दर्ज कर स्पेशल एजेंसी से जांच करवाई जाएगी. जिन लोगों ने सरकारी धन को फर्जी दस्तावेजों से हड़पा है उनसे वसूली भी करवाई जाएगी.’
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