UP School Merger News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से सोमवार को राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली. आपको बता दें कि अदालत ने सोमवार को उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिनमें उत्तर प्रदेश सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को पास के संस्थानों के साथ जोड़ा जा रहा है. न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने सोमवार को यह फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि नीतिगत निर्णय में अदालत हस्तक्षेप नहीं करेगी. मालूम हो कि कोर्ट ने शुक्रवार को ही कृष्णा कुमारी और अन्य द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. इन याचिकाओं में राज्य सरकार के 16 जून के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी।
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याचिकाकर्ताओं ने दिए ये तर्क
याचिकाकर्ताओं के वकीलों, एलपी मिश्रा और गौरव मेहरोत्रा ने तर्क दिया था कि राज्य सरकार का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 21ए का उल्लंघन करता है, जो छह से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार की गारंटी देता है.
उन्होंने तर्क दिया कि इस निर्णय को लागू करने से बच्चों को उनके पड़ोस में शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा. वकीलों ने यह भी कहा कि सरकार को छात्रों को आकर्षित करने के लिए स्कूलों के मानक में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि स्कूलों को बंद करने का "आसान रास्ता" चुनना चाहिए. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सरकार ने आर्थिक लाभ या हानि की परवाह किए बिना, जन कल्याण के बजाय इन स्कूलों को बंद करने का "आसान रास्ता" चुना.
सरकार ने कहा- 'नियमों के अनुसार' फैसला, कोई स्कूल बंद नहीं हुआ
अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया, मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह और वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप दीक्षित ने तर्क दिया कि सरकार का यह निर्णय नियमों के अनुसार लिया गया था और इसमें कोई खामी या अवैधता नहीं है. उन्होंने कहा कि कई स्कूलों में बहुत कम या कोई छात्र नहीं थे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने स्कूलों का 'विलय' (merge) नहीं किया है बल्कि उन्हें 'जोड़ा' (paired) है, और यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी प्राथमिक स्कूल बंद नहीं हुआ है.
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