उन्नाव रेप केस में कुलदीप सेंगर की सजा सस्पेंड करने के फैसले पर बवाल बढ़ा, दिल्ली में लहराए ये पोस्टर

उन्नाव रेप केस में दोषी कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. इस आदेश के खिलाफ 'जनवादी महिला समिति' और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हाई कोर्ट के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया.

Kuldeep Sengar

यूपी तक

26 Dec 2025 (अपडेटेड: 26 Dec 2025, 03:09 PM)

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उन्नाव रेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे भाजपा से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सस्पेंड किए जाने के फैसले पर विवाद गहरा गया है. इस फैसले के विरोध में शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ. 'जनवादी महिला समिति' (AIDWA) की महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पोस्टर-बैनर लेकर दिल्ली की सड़कों पर न्याय की गुहार लगाई.

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'बलात्कारियों को संरक्षण देना बंद करो' के लगे नारे

प्रदर्शन के दौरान माहौल उस समय तनावपूर्ण हो गया जब प्रदर्शनकारियों ने बलात्कारियों को संरक्षण देना बंद करो और न्याय चाहिए, फांसी दो जैसे तीखे नारे लगाने शुरू किए. प्रदर्शन में जनवादी महिला समिति की कार्यकर्ताओं के साथ एक्टिविस्ट योगिता भयाना और पीड़िता की मां भी शामिल हुईं.  सुरक्षा कारणों के चलते उन्नाव रेप पीड़िता को प्रदर्शन स्थल के पास ही खड़ी एक बस के भीतर रखा गया था. 

पीड़िता की मां का छलका दर्द - हमारा भरोसा टूट गया

मीडिया से बात करते हुए पीड़िता की मां ने भावुक होकर कहा कि, 'मेरी बेटी ने जो सहा है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. मैं पूरे हाई कोर्ट को दोष नहीं दे रही, लेकिन उन दो जजों के फैसले ने हमारा भरोसा तोड़ दिया है.' उन्होंने आगे कहा कि पहले के जजों ने हमें न्याय दिया था, लेकिन अब आरोपी को जमानत दे दी गई है. यह हमारे परिवार के साथ अन्याय है. अब हमारी आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट से है.

कुलदीप सेंगर को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को जानिए जिसपर हो रहा बवाल

बीते मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की अपील लंबित रहने तक उसकी सजा को निलंबित करने और उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने इसके पीछे तर्क दिया कि सेंगर करीब 7 साल और 5 महीने जेल में काट चुका है. हालांकि, कोर्ट सख्त शर्तें भी रखी हैं. इनके मुताबिक सेंगर पीड़िता के घर के 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं आएगा. वह पीड़िता या उसकी मां को डराने-धमकाने की कोशिश नहीं करेगा. अगर इन शर्तों का उल्लंघन हुआ तो उसकी जमानत तुरंत रद्द कर दी जाएगी.

जेल में ही रहेगा कुलदीप सेंगर

इस मामले का एक पहलू ये भी है कि भले ही हाई कोर्ट ने रेप केस में सजा सस्पेंड कर दी हो, लेकिन कुलदीप सिंह सेंगर अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएगा. वह पीड़िता के पिता की कस्टोडियल डेथ (हिरासत में मौत) के मामले में भी 10 साल की सजा काट रहा है और उस मामले में उसे अभी जमानत नहीं मिली है.

अब सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुंचा ये मामला

हाई कोर्ट के इस फैसले को अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. अधिवक्ता अंजलि पटेल और पूजा शिल्पकार द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने सेंगर के आपराधिक इतिहास और अपराध की गंभीरता को नजरअंदाज किया है. याचिका में दलील दी गई है कि निचली अदालत ने स्पष्ट किया था कि सेंगर को उसके जीवन के अंत तक जेल में रहना चाहिए, क्योंकि उसने न्याय की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीड़िता के पिता की हत्या तक साजिश रची थी. 

यहां ये भी जानना जरूरी है कि 2017 के इस जघन्य मामले को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर किया गया था. दिसंबर 2019 में निचली अदालत ने सेंगर को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि क्या वह हाई कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाता है या नहीं.

उन्नाव रेप केस क्या है और अबतक इसमें क्या क्या हुआ?

उन्नाव रेप केस सिर्फ एक नाबालिग लड़की से हुए अत्याचार की कहानी ही नहीं है. यह सत्ता, सिस्टम और न्याय की लड़ाई में आने वाली दुश्वारियों को उजागर करती एक खौफनाक घटना है. आपको बता दें कि जून 2017 में उन्नाव की 17 वर्षीय लड़की ने तत्कालीन भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का आरोप लगाया. पीड़ित पक्ष का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने आरोपों को दबा दिया और पीड़िता को धमकियां मिलने लगीं. इस मामले में एक भयावह कांड और हुआ. 2018 में पीड़िता के पिता को कथित तौर पर विधायक के समर्थकों ने बुरी तरह पीटा और पुलिस हिरासत में उनकी मौत हो गई. इससे नाराज होकर पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह की कोशिश की. इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए केस CBI को सौंपा.

सीबीआई  ने अपनी जांच में सेंगर दोषी पाया गया और 13 अप्रैल 2018 को उसकी गिरफ्तारी हुई. जुलाई 2019 में एक संदिग्ध सड़क हादसे में पीड़िता गंभीर रूप से घायल हुई और उसके कुछ परिजन मारे गए. इस एक्सिडेंट में भी साजिश का आरोप लगाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा और निष्पक्ष सुनवाई के लिए केस दिल्ली ट्रांसफर किया. 16 दिसंबर 2019 को तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को नाबालिग से रेप का दोषी करार दिया और 20 दिसंबर 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाई. 2025 में यह केस फिर सुर्खियों में आया जब दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर की उम्रकैद की सजा स्थगित कर अस्थायी जमानत दे दी. कोर्ट ने सख्त शर्तें लगाईं, लेकिन फैसले को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

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