मुरादाबाद में 250 रुपए किराए पर मुलायम सिंह यादव को मिली थी कोठी, DM अनुज सिंह ने अब ये किया उसके साथ

मुरादाबाद के डीएम अनुज सिंह ने सपा संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को दी गई कोठी का आवंटन निरस्त कर दिया. यह कोठी 13 जुलाई 1994 को 250 रुपए मासिक किराए पर दी गई थी.

Moradabad News

आशीष श्रीवास्तव

• 09:40 AM • 01 Aug 2025

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मुरादाबाद के डीएम अनुज सिंह ने सपा संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को दी गई कोठी का आवंटन निरस्त कर दिया. यह कोठी 13 जुलाई 1994 को 250 रुपए मासिक किराए पर दी गई थी. जिला प्रशासन ने समाजवादी पार्टी की लोकल यूनिट को 30 दिन में कोठी खाली करने का आदेश दिया है. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद नामांतरण नहीं होने से आवंटन रद्द किया गया.

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1 महीने में कोठी खाली करने का नोटिस

बता दें कि यह कोठी सिविल लाइंस के पॉश इलाके में स्थित यह कोठी करीब 1000 वर्ग मीटर में फैली है. वर्तमान में इसमें समाजवादी पार्टी का जिला कार्यालय चल रहा है. यह कोठी ग्राम छावनी में पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज के पास स्थित है और राज्य सरकार की संपत्ति है. ऐसे में एडीएम फाइनेंस ने सपा जिलाध्यक्ष को नोटिस भेजकर 1 माह में कोठी खाली करने का निर्देश दिया है. प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद कोठी का नामांतरण नहीं कराया गया. नियमानुसार, किसी सरकारी आवंटन के मूल लाभार्थी की मृत्यु होने पर संपत्ति का नामांतरण आवश्यक होता है.चूंकि ऐसा नहीं किया गया, इसलिए प्रशासन ने आवंटन को समाप्त कर दिया.

पीलीभीत में भी सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है फटकार

बता दें कि बीते दिनों पीलीभीत में भी 115 रुपये जैसे मामूली किराए पर मिले एक ऑफिस स्पेस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सपा को कड़ी फटकार लगाई थी. यह मामला तब सामने आया था जब सपा ने पीलीभीत की नगर पालिका परिषद के बेदखली आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने सुना और सख्त टिप्पणी की. सपा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे को बेंच ने साफ शब्दों में कहा कि यह धोखाधड़ी से आवंटन का मामला नहीं, बल्कि 'बाहुबल और सत्ता का दुरुपयोग करके धोखाधड़ी से कब्जा/ करने का मामला है

समाजवादी पार्टी की ओर से दिया गया ये तर्क

अधिवक्ता दवे ने तर्क दिया कि ऑफिस स्पेस का किराया चुकाने के बावजूद नगर पालिका अधिकारी उनके मुवक्किल को बेदखल करने पर अड़े हुए थे. उन्होंने यह भी बताया कि बेदखली आदेश पर रोक लगाने के लिए एक मुकदमा दायर किया गया था. बेंच ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, 'आप एक राजनीतिक पार्टी हैं. आपने जगह पर कब्जा करने के लिए आधिकारिक पद और राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग किया. जब कार्रवाई होती है, तो आपको सब कुछ याद आने लगता है. क्या आपने कभी नगर पालिका क्षेत्र में 115 रुपये किराए पर ऑफिस स्पेस के बारे में सुना है? यह सत्ता के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला है.'

'आप अनाधिकृत कब्जाधारी हैं'

जब अधिवक्ता दवे ने छह सप्ताह के लिए बेदखली से सुरक्षा की मांग की, तो बेंच ने साफ कहा, 'अभी, आप एक अनाधिकृत कब्जाधारी हैं. ये धोखाधड़ी वाले आवंटन नहीं हैं, बल्कि धोखाधड़ी वाले कब्जे हैं.' दवे ने दावा किया कि अधिकारियों द्वारा उनकी पार्टी को अकेले निशाना बनाया जा रहा है. इस पर बेंच ने कहा, 'यह बेहतर होगा कि आप हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर करें और ऐसे किसी भी धोखाधड़ी वाले आवंटन या कब्जे को कोर्ट के संज्ञान में लाएं. हम इस कदम का स्वागत करेंगे.'

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