'दंडकर्म पारायणम्' को 50 दिनों तक अखंड पूरा किया, 2000 वैदिक मंत्र कंठस्थ... 19 साल के साधक महेश देवव्रत रेखे की कहानी

महाराष्ट्र के 19 वर्षीय युवा वैदिक साधक महेश देवव्रत रेखे ने काशी की पवित्र भूमि पर एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है. इस उपलब्धि ने सिर्फ पूरे आध्यात्मिक जगत को प्रेरित किया है, बल्कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर इनको लेकर जबर्दस्त चर्चाएं हैं.

Mahesh Devvrat Rekhe

यूपी तक

03 Dec 2025 (अपडेटेड: 03 Dec 2025, 08:36 AM)

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महाराष्ट्र के 19 वर्षीय युवा वैदिक साधक महेश देवव्रत रेखे ने काशी की पवित्र भूमि पर एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है. इस उपलब्धि ने सिर्फ पूरे आध्यात्मिक जगत को प्रेरित किया है, बल्कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर इनको लेकर जबर्दस्त चर्चाएं हैं. वाराणसी में काशी तमिल संगमम 4.0 के उद्घाटन समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इस युवा साधक को सम्मानित किया और उन्हें आध्यात्मिक दुनिया के लिए प्रेरणा की नई किरण बताया.

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सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्स' पर एक पोस्ट में देवव्रत महेश रेखे की असाधारण उपलब्धियों की जानकारी देते हुए उनकी तारीफ की. उन्होंने कहा कि महेश देवव्रत रेखे ने अपनी अद्वितीय अभ्यास और अद्भुत स्मरण शक्ति के दम पर 2000 वैदिक मंत्रों को कंठस्थ करके जो मिसाल पेश की है वो संपूर्ण आध्यात्मिक जगत के लिए प्रेरणा का नया स्रोत है.

50 दिनों का अखंड 'दंडकर्म पारायणम्' 

महेश देवव्रत की यह उपलब्धि विशेष रूप से उनके द्वारा पूर्ण किए गए 'दंडकर्म पारायणम्' (Dandakarma Parayanam) अनुष्ठान से जुड़ी है. यह अनुष्ठान शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा से संबंधित है. महेश देवव्रत ने इस पाठ को 50 दिनों तक लगातार और अखंड रूप से पूरा किया. इस पूरे अनुष्ठान को अत्यंत शुद्ध, पूर्ण और निर्बाध अनुशासन के साथ पूरा किया गया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह उपलब्धि हमारी प्राचीन गुरु परंपरा की महिमा के पुनरुद्धार के समान है. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए विशेष गर्व का विषय है कि यह वैदिक अनुष्ठान पवित्र काशी की दिव्य भूमि पर सफलतापूर्वक पूरा हुआ. मुख्यमंत्री ने देवव्रत के परिवार, आचार्यों, संतों, ऋषियों और सभी संस्थाओं को हृदय से बधाई दी, जिनके समर्थन से यह तपस्या सफल हुई.

काशी तमिल संगमम 4.0 का शुभारंभ

इस समारोह का आयोजन काशी तमिल संगमम 4.0 के उद्घाटन अवसर पर किया गया. इस समागम की मदद से तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. इस वर्ष के संगमम की थीम तमिल कर्कालाम (आइए तमिल सीखें) है. कार्यक्रमों में 'तमिल कर्कालाम' (वाराणसी के स्कूलों में तमिल का शिक्षण), 'तमिल करपोम' (काशी के 300 छात्रों के लिए तमिल सीखने के अध्ययन दौरे), और ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान (तेनकासी से काशी तक सभ्यतागत मार्ग का पता लगाना) जैसे प्रमुख कार्यक्रम शामिल हैं. 

इस वर्ष का संगमम रामेश्वरम में एक भव्य समापन समारोह के साथ समाप्त होगा. ये कार्यक्रम काशी से तमिलनाडु तक सांस्कृतिक यात्रा के चक्र को प्रतीकात्मक रूप से पूरा करेगा.

पीएम मोदी ने महेश देवव्रत के लिए किया ये पोस्ट 

 

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