लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे बनाने के दौरान हुई गड़बड़ी? CAG रिपोर्ट से जमीन सौदे पर उठे सवाल

भाषा

• 12:31 PM • 28 Sep 2022

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए कन्नौज…

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नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए कन्नौज जिले में भूमि खरीद के सिलसिले में बैनामे की स्वीकृत राशि से 3.65 करोड़ रुपए अधिक धनराशि का भुगतान किया.

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कैग ने उत्तर प्रदेश सरकार को साल 2014 में हुए इस मामले की जांच करने और जिम्मेदारी तय करने का सुझाव दिया है. कैग ने मार्च 2020 में समाप्त वर्ष के लिए अपनी अनुपालन लेखापरीक्षा रिपोर्ट में इस मामले पर प्रकाश डाला है.

‘पीटीआई-भाषा’ को मिली यह रिपोर्ट हाल में समाप्त हुए विधानसभा के मॉनसून सत्र में पेश की गई थी.

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के (सितंबर 2013 के) आदेश में प्रावधान है कि सभी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की सामान्य नीति के अनुसार, भूमि मालिकों और अधिग्रहण निकायों के बीच समझौते के आधार पर सीधे तौर पर जमीन खरीदी जानी चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क या एक्सप्रेसवे परियोजनाओं के उद्देश्य से भूमि क्रय के लिए मुआवजे का निर्धारण संबंधित जिलों के जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय दर निर्धारण समिति (समिति) द्वारा किया जाना चाहिए और दरें प्रचलित बाजार दर व अन्य संबंधित जानकारी के आधार पर आपसी सहमति से तय की जानी चाहिए.

कैग ने कहा, “इसके अलावा, समिति को इन दरों को अनुमोदन के लिए अपनी अनुशंसा के साथ अधिग्रहण निकाय को भेजना चाहिए. ” रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीईआईडीए ने (17 जून, 2014 को) अपने बोर्ड की 22वीं बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को उस समिति द्वारा तय की गई दरों को मंजूरी देने के लिए अधिकृत किया, जिस पर जमीन खरीदी जानी थी.

कन्नौज जिला समिति ने (दो जुलाई को) लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए 50 गांवों में आवश्यक भूमि की दरें (सर्किल दरों से चार गुना अधिक) तय कीं. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीईआईडीए के सीईओ ने (सात जुलाई, 2014) को समिति की अनुशंसा को मंजूरी दे दी.

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘(अगस्त 2019 में) अभिलेखों की जांच में पता चला कि यूपीईआईडीए ने (सितंबर 2013) के सरकारी आदेश का उल्लंघन करते हुए कन्नौज जिले के सात गांवों में जमीन खरीदी.

इसके बाद समिति द्वारा अनुंशसित और यूपीईआईडीए के सीईओ से मंजूरशुदा दरों से अधिक दरों पर 88 बैनामे कराए. तय दरों से अधिक दरों पर बैनामे कराने का कारण यह बताया गया कि ये भूमियां सड़क से सटी हुई हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कन्नौज के जिलाधिकारी ने यूपीईआईडीए के सीईओ को संबोधित करते हुए (5 जनवरी, 2021) को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने इस तथ्य का उल्लेख किया कि बैनामों में, जमीन की ‘चौहद्दी’ में सड़क के अस्तित्व के बारे में कोई उल्लेख नहीं था, इसलिए ये बैनामे मंजूरशुदा सर्किल दरों से अधिक दरों पर किए गए. इनके लिए यूपीईआईडीए की मंजूरी ली जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.’

कैग के मुताबिक, ‘परिणामस्वरूप, यूपीईआईडीए ने भूस्वामियों को 3.65 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि का भुगतान किया.’

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