सिगरेट पीते हुए पकड़े गए थे ओझा सर, फिर उनके पिता ने की थी ये ‘डील’

Awadh Ojha Sir Story: अपने अलग और मस्त अंदाज में UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों को इतिहास पढ़ाने वाले अवध ओझा उर्फ ओझा सर…

यूपी तक

31 May 2023 (अपडेटेड: 31 May 2023, 10:31 AM)

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Awadh Ojha Sir Story: अपने अलग और मस्त अंदाज में UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों को इतिहास पढ़ाने वाले अवध ओझा उर्फ ओझा सर यूट्यूब पर जमकर छाए रहते हैं. यूपी के गोंडा जिले के रहने वाले ओझा सर सोशल मीडिया वीडियोज और शॉर्ट्स वायरल रहते हैं. ओझा सर बीच क्लास मोटिवेशन देने के साथ-साथ अपने पुराने दिनों के किस्से भी छात्रों को बताते रहते हैं, जिससे उनका हौसला बढ़ता है. वहीं, इंडिया टुडे के डिजिटल चैनल ‘द लल्लनटॉप’ को दिए एक इंटरव्यू में ओझा सर ने बताया था उनकी जवानी के दिनों में एक बार उनके पिता ने उन्हें बाहर सिगरेट पीते हुए पकड़ लिया था, इसके बाद क्या-क्या हुआ? इसे खुद आप खबर में आगे जानिए.

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ओझा ने सर बताया, “पिता जी ने कहीं देख लिया था मुझे सिगरेट पीते हुए. शाम को उन्होंने मुझसे पूछा यार सिगरेट का सबसे अच्छा ब्रांड कौन सा है? हमें लगा कि पिता जी को क्या हो गया. फिर मैंने उनसे कहा कि विल्स होती है. इसके बाद फिर पिता जी एक पूरा डिब्बा (सिगरेट का), एक ग्रीन कलर की ऐश ट्रे और लाइटर लेकर आए थे. उन्होंने मुझसे कहा कि यार घर में बैठकर पीया करो, चोरों की तरह दुकान के पीछे खड़े होकर मत पीया करो. फिर उसके बाद मैंने कभी सिगरेट पी ही नहीं. मुझे बड़ा अजीब लगा कि पिता जी क्या कह रहे हैं.”

जब ओझा सर ने तैश में आकर चला दी थी गोली

बता दें कि ओझा सर ने बताया था कि जवानी के दिनों में वह मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र की पिक्चर ‘चरस’ देखने गए थे. उन्होंने बताया कि जिस सिनेमा हॉल में वह पिक्चर देखने गए थे वह तब के मौजूदा सांसद सत्यदेव सिंह का था.

ओझा सर बोले- मैंने चलाई थी गोली

ओझा सर ने बताया, “वहां एक साहब थे, फिल्म के इंटरवेल में उन्होंने मुझे तमाचा मार दिया. वह बोले- बस ऐसे ही बड़े रंगबाजी में घूमते हो, स्कूटर से चलते हो. फिर पहला शूट-आउट वहीं हुआ था. मतलब, आधे घंटे गोली चली थी.” उन्होंने आगे बताया कि इस दौरान उनपर गोली नहीं चली थी, बल्कि उन्होंने खुद गोली चलाई थी. ओझा सर के अनुसार, इसको लेकर उनके खिलाफ नॉन-बेलेबल वॉरंट जारी हुआ था.

ओझा सर हो गए थे फरार

बकोल ओझा सर, “फिर हम लोग फरार हो गए. धारा 307 लगी. एक महीने फरारी में रहे. माताजी लॉयर थीं, तो उन्होंने एक बढ़िया काम ये किया कि एक ही दिन में लोअर कोर्ट और सेशन कोर्ट में जमानत करा दी थी.”

हालांकि, फिर ओझा सर ने बताया कि आश्रमों की आवाजाही और अध्ययन की तरफ उनका रुझान बढ़ा और इसके बाद उनका जीवन बदल गया.

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