उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि प्रदेश में जल्द ही 6 नई फॉरेंसिक लैब स्थापित की जाएंगी. ये नई लैब अयोध्या, बस्ती, बांदा, आजमगढ़, मीरजापुर और सहारनपुर में तैयार हो रही हैं. सोमवार को लखनऊ में यूपी राज्य फॉरेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट (UPSIFS) के तीसरे स्थापना दिवस पर एक अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने बताया कि 2017 से पहले राज्य में सिर्फ चार ही फॉरेंसिक लैब थीं. उन्होंने जानकारी दी कि अब इनकी संख्या बढ़कर 12 हो चुकी हैं. इसके अलावा और 6 नई लैब तैयार की जा रही हैं.
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यूपी में नई टेक्नोलॉजी से क्राइम कंट्रोल
मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि यूपी में क्राइम कंट्रोल करने के लिए नई और मॉर्डन टेक्नोलॉजी का खूब इस्तेमाल हो रहा है. उन्होंने कहा कि जुलाई 2024 से 7 साल से अधिक सजा के प्रावधान के सारे मामलों में फॉरेंसिक सबूत अनिवार्य कर दिए गए हैं. उन्होंने यह भी दावा किया कि पुलिस अब 24 से 48 घंटे के भीतर अपराधियों को पकड़ने में सफल हो रही है.
यूपी पुलिस ने नेशनल ऑटोमेटेड फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) के तहत 4,14,473 अपराधियों के फिंगरप्रिंट का डिजिटलीकरण किया है. यह डेटा एसटीएफ, एटीएस और जीआरपी को भी उपलब्ध कराए गए हैं. इससे अपराधियों की पहचान, उनका पुराना रिकॉर्ड और अज्ञात शवों की पहचान करने में काफी मदद मिल रही है.
- सभी 75 जिलों में मोबाइल फॉरेंसिक यूनिट और हर जिले में साइबर पुलिस स्टेशन भी बनाए गए हैं.
- 1587 थानों में साइबर हेल्प डेस्क भी खोले गए हैं.
सीएम योगी ने कहा कि बीएनएस, बीएमएसएस और बीएसए-2023 जैसे नए कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की नियुक्ति पर भी ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने पुलिस बल से भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए कहा कि देश के सबसे बड़े पुलिस बल को आधुनिक बनाने का यह प्रयास लगातार जारी रहेगा.
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