उत्तर प्रदेश का कृषि क्षेत्र लगातार नई तकनीकों की ओर बढ़ रहा है. पहले जहां किसान हाथ से आलू की बुवाई करते थे और बहुत मेहनत और समय खर्च होता था, वहीं अब आधुनिक ट्रैक्टर और नई बुवाई विधियों ने खेती को आसान और उत्पादक बना दिया है। राजधानी लखनऊ के पास स्थित बाराबंकी जिले के पद्मश्री किसान रामशरण वर्मा इस बदलाव का जीवंत उदाहरण हैं.
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रामशरण वर्मा पिछले 30 सालों से आलू की खेती कर रहे हैं. इस साल उन्होंने आलू की बुवाई के लिए तीन नए ट्रैक्टर खरीदे हैं. उनका कहना है कि “पहले हम हाथ से आलू की बुवाई करते थे, जिससे समय और मेहनत दोनों ज्यादा लगती थी. अब ट्रैक्टर की मदद से खेत में आसानी से बुवाई हो जाती है और एक दिन में 7-8 एकड़ तक काम किया जा सकता है.”
56 इंच चौड़ी बेड पर दो लाइन की बुवाई
रामशरण वर्मा बताते हैं कि वे 56 इंच चौड़ी बेड पर दो लाइन में आलू की बुवाई करते हैं. यह उनकी नई बुवाई विधि है जिससे प्रति एकड़ लगभग 200 क्विंटल आलू की पैदावार होती है. इस साल उन्होंने 150 एकड़ में आलू की बुवाई की है. वे किसानों से अपील करते हैं कि 3-4 अलग-अलग प्रजातियों की आलू की बुवाई करें. ऐसा करने से न केवल उत्पादन बढ़ता है बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से भी नुकसान कम होता है.
ट्रैक्टर से समान और गहराई तक बुवाई
उन्होंने हमारे सहयोगी किसान तक से बात करते हुए आगे बताया कि उनके ट्रैक्टर में बीज डालने का टैंक होता है जो बीज को तय दूरी और गहराई पर मिट्टी में डालता है. इससे पौधों की बढ़वार समान होती है और पैदावार बढ़ती है. छोटे ट्रैक्टर की लंबाई 48 इंच है, लेकिन खेत की खुदाई बड़ी मशीनों से की जाती है.
रामशरण वर्मा बताते हैं कि आलू की बुवाई अक्टूबर-नवंबर के बीच की जाती है. इस समय मौसम ठंडा और हल्की नमी वाला होता है. यह मौसम आलू के अंकुरण के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि आलू की खेती में ज्यादा पानी डालने से पैदावार घटती है.
कम लागत में होता है ज्यादा लाभ
एक ट्रैक्टर की कीमत लगभग 5.30 लाख रुपये से शुरू होती है. भले ही यह खर्च कुछ अधिक लगे लेकिन इससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है. रामशरण वर्मा का कहना है कि इस ट्रैक्टर के जरिए आलू कभी खराब नहीं होगा क्योंकि बीज गहराई तक मिट्टी में डाल दिए जाते हैं.
उच्च उत्पादन और मेहनत का महत्व
रामशरण वर्मा के अनुसार, 100 एकड़ में एक सीजन में लगभग 20-22 हजार क्विंटल आलू की पैदावार होती है. उनका मानना है कि खेती में मेहनत और सही तकनीक का मेल ही बंपर पैदावार का रहस्य है.
उनकी कहानी यह साबित करती है कि आधुनिक तकनीक अपनाकर और मेहनत से काम करके किसान अपनी पैदावार और आय दोनों बढ़ा सकते हैं. आलू की खेती में यह बदलाव उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने में मदद कर रहा है और बाकी किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रहा है.
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