उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट सेक्टर में घर खरीदारों और डेवलपर्स दोनों के लिए बड़ी राहत की खबर है. यूपी के रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (UP RERA) ने 22 लंबित आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं को अपनी "अबेयन्स सूची" से हटा दिया है. अब इन परियोजनाओं में सात जिलों में फैले 8,856 यूनिट्स पर निर्माण फिर से शुरू हो सकेगा. यह जानकारी मंगलवार को UP RERA ने जारी बयान में दी है.
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अबेयन्स सूची क्या होती है?
अबेयन्स सूची उन परियोजनाओं की होती है जिनका पंजीकरण अस्थायी रूप से रोक दिया गया होता है. ऐसा आम तौर पर तब होता है जब प्रमोटरों द्वारा जरूरी दस्तावेज जैसे भूमि रिकॉर्ड, स्वीकृत नक्शे या इन्वेंट्री विवरण समय पर जमा नहीं किए गए हों. इन दस्तावेज़ों के बिना परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ सकतीं.
किन जिलों की परियोजनाएं क्लियर हुईं?
अबेयन्स सूची से हटाई गई परियोजनाएं लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, आगरा, मेरठ, झांसी और हाथरस में स्थित हैं. सबसे ज्यादा यूनिट्स, 5,600 से अधिक नोएडा में हैं, इसके बाद गाजियाबाद और लखनऊ का नंबर है.
निर्माण के लिए अब क्लियर की गई प्रमुख परियोजनाओं में नोएडा के जेपी ग्रीन्स गार्डन आइल्स और ग्रीनबे गोल्फ होम्स, लखनऊ के द सिटाडेल और एमराल्ड मॉल, गाजियाबाद के विहान शॉपिंग प्लाजा और शलिमार सिटी फेज-2, तथा मेरठ का द प्लेटिनम मॉल शामिल हैं.
घर खरीदारों और डेवलपर्स के लिए राहत
UP RERA ने बताया कि यह कदम लंबित परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा. अब उन घर खरीदारों के लिए निर्माण फिर से शुरू होगा जिनकी परियोजनाएं वर्षों से रुकी हुई थीं. डेवलपर्स जिनके पास सभी दस्तावेज पूरे हैं, उन्हें RERA नियमों के अनुसार आगे बढ़ने की अनुमति मिलेगी.
राज्य की अर्थव्यवस्था को फायदा
विशेषज्ञों का कहना है कि इस निर्णय से राज्य की रियल एस्टेट-आधारित अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा. इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, निर्माण सामग्री की मांग बढ़ेगी और पूंजी प्रवाह में सुधार होगा.
UP RERA के अध्यक्ष संजय आर. भूश्रेड्डी ने कहा कि "अबेयन्स सूची से उन परियोजनाओं को हटाना, जिन्होंने सभी आवश्यक दस्तावेज़ पूरे कर लिए हैं, रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. यह घर खरीदारों को राहत देगा और राज्य की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा भी भर देगा." (सोर्स: PTI)
क्या है बैकग्राउंड?
UP RERA ने जुलाई 2024 में अपनी 152वीं बैठक में लगभग 400 परियोजनाओं को अबेयन्स सूची में रखा था. इसका कारण था कि प्रमोटरों ने समय पर जरूरी दस्तावेज जमा नहीं किए थे. अब इन 400 परियोजनाओं में से 22 परियोजनाओं को आगे के निर्माण के लिए पुनर्स्थापित किया गया है.
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