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एक परिवार के लिए अपने बच्चे को खोने से ज्यादा बड़ा दुख भला क्या हो सकता है, लेकिन वो दुख और भी बढ़ जाता है जब अपने ही बच्चे की लाश को कंधे पर ढोना पड़े. ये तस्वीरें शर्मनाक हैं. एक पिता अपने 14 साल के बच्चे की लाश को कंधे पर लादकर अस्पताल से घर लौट रहा है और पीछे पीछे बच्चे की मां बेसुध सी बस चलती जा रही है.
इंसानियत को शर्मसार करने वाले ये तस्वीरें संगम नगरी प्रयागराज की हैं. 14 साल के लड़के की मौत के बाद उसके शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली. ऐसे में मजबूर पिता को अपने कंधे पर ही बेटे के शव को 25 किलोमीटर तक ले जाना पड़ा. एसआरएन अस्पताल में पिता ने अपने बच्चे को इलाज के लिए भर्ती करवाया था, लेकिन उसकी मौत हो गयी. परिजन उसके शव को वापस घर ले जाने की तैयारी करने लगे, लेकिन अस्पताल से एंबुलेंस ही नहीं मिली. एक तो गरीबी की मार ऊपर से बेटे के जाने का दुख. मानो दुखों और विपत्ति का का पहाड़ एक साथ टूट पड़ा हो.
मजबूर पिता ने बताया- एंबुलेंस की सुविधा के लिए पैसों की डिमांड की जा रही थी, लेकिन ये गरीबी है साहब. परेशानी में और मजबूर बना देती है. एंबुलेंस के लिए पैसे तो थे नहीं फिर एक मजबूर और मजदूर पिता बेटे के शव को कंधे पर लादकर पैदल ही 25 किलोमीटर तक चला गया, लेकिन इसके बाद भी ना कोई प्रधान ना विधायक ना सांसद किसी ने कोई मदद नहीं की.
मामले में अधिकारियों का वही रटा रटाया जवाब कि मामला संज्ञान में आया है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी. सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसी नौबत ही क्यों आई. इस गरीब परिवार पर जो पहाड़ टूटा उसका जिम्मेदार आखिर कौन है? अस्पतालों का दौरा करने वाले प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और तमाम अधिकारी महोदय जरा इन गरीबों की भी सुन लीजिए. ये कैसी व्यवस्था है. ये कैसा प्रशासन है. जवाब दीजिए और ये सुनिश्चित कीजिए कि आज के बाद ऐसी कोई तस्वीर हमें दोबारा देखने को ना मिले.