शिवपाल सिंह यादव ने ऋचा सिंह को समाजवादी पार्टी में कराया था शामिल, मगर चुनाव नहीं जीत सकीं

पंकज श्रीवास्तव

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आजादी के बाद पहली बार इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में कोई महिला अध्‍यक्ष पद के लिए चुनी गई थी वो थीं ऋचा सिंह (Richa Singh). इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पहली महिला अध्यक्ष ऋचा सिंह ने समाजवादी पार्टी ज्वॉइन कर ली थीं. आजादी के बाद वे पहली महिला हैं, जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्ष बनीं. ऋचा ने भले ही छात्रसंघ चुनाव निर्दलीय लड़ा था, लेकिन चुनाव में उन्हें सपा का भरपूर सहयोग मिला था. ऋचा ने 2015-16 में छात्रसंघ का चुनाव 11 वोटों से जीतकर इतिहास बनाया था.

छात्रसंघ चुनाव जीतने के बाद से उनका समाजवादी पार्टी की तरफ झुकाव रहा है. जब से तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार से भी सम्मानित किया था, तभी से उनके सपा में जुड़ने की खबरें आ रहीं थीं. समाजवादी पार्टी के नए प्रदेश प्रभारी शिवपाल सिंह यादव ने फैजाबाद के दौरे पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की अध्यक्षा ऋचा सिंह को समाजवादी पार्टी में शामिल किया. ऋचा सिंह ने प्रयागराज पश्चिम विधानसभा से 2017 और 2022 का विधान सभा चुनाव समाजवादी पार्टी से लड़ा था, लेकिन वो दोनों चुनाव नहीं जीत सकीं.

वहीं, 2017 के होने वाले विधानसभा चुनाव में शहर पश्चिमी से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी बनी ऋचा सिंह के विधायक और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ के विरोध में खड़ी हुई थी. इसके बाद ऋचा सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी ऋचा सिंह का सामना बीजेपी के प्रत्याशी सिद्धार्थ नाथ सिंह से हुआ था, लेकिन 2022 में भी ऋचा सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा था. आरोप है कि चुनाव में हार के बाद वह लगातार पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रही थीं.

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समाजवादी पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में सपा नेता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह को निष्कासित कर दिया है. आरोप है कि ऋचा सिंह लगातार पार्टी के विरोध में बयान दे रही थीं. पिछले दिनों उन्होंने एक ट्वीट में लिखा था कि स्वामी के साथ अखिलेश हैं. मेरे पास बांके बिहारी हैं. अब देखना यह है कि कौन सा अहीर का छोरा किस पर भारी है.

समाजवादी पार्टी से निष्कासित किए जाने के बाद ऋचा सिंह ने बड़ा बयान दिया है. ऋचा सिंह ने सीधे तौर पर अपने निष्कासन को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव पर निशाना है. ऋचा सिंह ने कहा कि प्रभु श्रीराम इस देश की मर्यादा हैं और रामचरितमानस के खिलाफ स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी बर्दास्त के लायक नहीं है. स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का विरोध करना उन्हें भारी पड़ा है.

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ऋचा सिंह ने सीधे तौर पर कहा कि समाजवादी पार्टी अब लोहिया जी की विचारधारा से भटक चुकी है, जिस तरह से समाजवादी स्वामी प्रसाद मौर्य को खुली छूट दी गई है. इससे साफ है कि अगर आज लोहिया जी और जयप्रकाश होते तो उन्हें भी समाजवादी पार्टी बाहर कर दी होती.

ऋचा सिंह ने कहा है कि वह महिला हैं और स्वर्ण बिरादरी से आती हैं. शायद यही कारण है कि आज स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित टिप्पणी के खिलाफ खड़े होने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है.

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ऋचा सिंह ने ये भी आरोप लगाया है कि उन्हें सपा के कुछ नेताओं द्वारा लगातार सोशल मीडिया के जरिए उन्हें धमकियां दी जा रहीं हैं. इस पर अखिलेश यादव को संज्ञान लेना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि यह दूसरा गेस्ट हाउस कांड बनाने की कोशिश उनके कार्यकर्ताओ द्वारा किया जा रहा है. जिसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए वह तैयार हैं.

ऋचा सिंह ने कहा है कि समाजवादी पार्टी ने उनके निष्कासन से पहले लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया है, इसलिए वह चुनाव आयोग से लेकर समाजवादी पार्टी से जवाब मांगने का प्रयास करेंगी. वहीं, अपने अगले राजनैतिक स्टैंड को लेकर ऋचा सिंह ने साफ किया कि वह संघर्ष करके यहां तक पहुंची हैं, इसलिए वह अपने लोगों से बातचीत करके आगे भविष्य को लेकर फैसला करेंगी.

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