ऋचा पूछ रही थीं सपा से बाहर निकाले जाने का कारण, जूही सिंह ने ट्विटर पर गिना दी वजहें
Uttar Pradesh NEWS: उत्तर प्रदेश में वैसे तो ठंड का मौसम अंतिम पड़ाव पर है और सूरज की तपिश धीरे-धीरे तापमान को बढ़ा रही है,…
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Uttar Pradesh NEWS: उत्तर प्रदेश में वैसे तो ठंड का मौसम अंतिम पड़ाव पर है और सूरज की तपिश धीरे-धीरे तापमान को बढ़ा रही है, पर सूबे की राजनीति के तापमान को एक विवाद ने काफी बढ़ा रखा है. इस विवाद के तपिश ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के दो नेताओं को अपने लपेटे में भी ले लिया और इनको पार्टी से निकाल दिया गया. रामचरितमानस (Ramcharit Manas Controversy) की कुछ चौपाइयों को दलित और पिछड़ा विरोधी बताते हुए स्वामी प्रसाद लगातार मोर्चा खोले हुए हैं. वहीं स्वामी प्रसाद के बयान का विरोध करने वाली सपा नेता ऋचा सिंह और रोली तिवारी को गुरुवार को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
सपा ने गुरुवार को ट्वीट कर रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को पार्टी से निष्कासित किए जाने की जानकारी दी. निष्कासन के बाद दोनों महिला नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह ने लगातार स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर विरोध में मोर्चा खोल रखा था और सोशल मीडिया में हर रोज लिख रही थीं. रिचा औ रोली का स्वामी प्रसाद पर हमला करना पार्टी को नागवार गुजर रहा, जिसके चलते उनके खिलाफ कार्रवाई की गई.वहीं पार्टी ने निकाले जाने के बाद रिचा सिंह ने ट्वीटर पर सपा और अखिलेश यादव ने जमकर हमला बोला है. रिचा, सपा पर महिला विरोधी से लेकर धर्म की राजनीति करने तक तमाम तरह के आरोप लगा रही हैं और अपने निष्कासन पर भी जवाब मांग रही हैं.
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पार्टी से निकाले जाने के बाद ऋचा सिंह ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर समाजवादी पार्टी को महिला विरोधी बताया है. वहीं रिचा सिंह के आरोपों का जवाब सपा नेता जूही सिंह ने दिया.
सपा नेता जूही सिंह ने रिचा को पार्टी से बाहर निकाले जाने वाले फैसले का समर्थन किया और रिचा को इस फैसले के पीछे का कराण भी गिनाया. जूही सिंह ने ट्वीट कर कहा, “मैं बता देती हूं,निरंतर और अनेक मुद्दों पर अनुशासनहीनता,दल के संगठनात्मक निर्णय में जनता से संवाद करने जैसी कोई स्थिति नहीं लगती तो नहीं,आप पार्टी के विचारों से सहमत नहीं थीं,आज आपका खुद का एक स्वतंत्र वजूद है बिना पार्टी के,आपके आगे स्वछंद भविष्य है कर्मठता से नव निर्माण करिए.” बता दें कि रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य पर सपा के अंदर मतभेद दिख रहे थे और पार्टी दो धड़ों में बंट गई थी.
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