मेरठ: नींबू बेचने वाला शख्स कैसे बन गया मीट कारोबारी? जानें हाजी याकूब की पूरी कहानी

उस्मान चौधरी

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साल 2006 में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने वाले शख्स का सिर पर 51 करोड़ रुपये ईनाम की घोषणा करने वाले बसपा नेता और यूपी के पूर्व मंत्री हाजी याकूब की मुश्किलें काम होती नजर नहीं आ रही हैं. बता दें कि मेरठ पुलिस हाजी याकूब और उनके दोनों बेटों के गिरफ्तारी के लिए दबिश डाल रही है.

बता दें कि 31 मार्च 2022 को मेरठ के खरखौदा स्थित उनके मीट प्लांट पर छापेमारी कर पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया था. साथ ही पूर्व मंत्री हाजी याकूब सहित 14 लोगों के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था. एफआईआर में याकूब के दोनों बेटे इमरान, फिरोज और पत्नी का नाम भी शामिल है.

आरोप है की बसपा नेता और पूर्व मंत्री हाजी याकूब के खरखौदा स्थित मीट प्लांट में अवैध पैकेजिंग और सप्लाई की सूचना पर छापेमारी की गई थी और वहां ये काम होता पाया गया. कई विभागों के अधिकारी दिनभर अल-फहीम मीटेक्स प्राइवेट लिमिटेड मीट प्लांट में जांच करते रहे. इस दौरान मीट प्लांट में 2.5 लाख किलो पैकिंग हुआ माल और लगभग 6000 किलो कच्चा मीट बरामद हुआ. मौके से पैकिंग करते 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इस मामले में हाजी याकूब, उनके दोनों बेटे और पत्नी समेत 14 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया गया था.

कौन हैं हाजी याकूब?

गौरतलब है कि हाजी याकूब ने साल 2006 में मेरठ में एक रैली के दौरान पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाने वाले कार्टूनिस्ट का सिर काटने वाले को 51 करोड़ रुपये ईनाम में देने की घोषणा की थी. हाजी याकूब के इस ऐलान की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी थी. उस समय वो आशिक-ए-रसूल हो गए थे.

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लगभग 30 साल में याकूब परिवार ने करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की और आज पूरा परिवार गिरफ्तारी के खौफ से फरार है. बता दें कि याकूब के घर और फैक्टरी की कुर्की की कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये के आसपास की बताई गई है.

बताया जाता है की याकूब का कई बीघा जमीन में मीट प्लांट है, जो अब सील है. वहीं, याकूब का माई सिटी हॉस्पिटल भी सील है.

कभी नींबू बेचते थे हाजी याकूब

कहा जाता है कि हाजी याकूब कभी नींबू बेचने का काम किया करते थे और आज याकूब की गिनती बड़े मीट कारोबारियों में होती है. याकूब कुरैशी मेरठ के कोतवाली इलाके के सोहराबगेट पुलिस चौकी के पास का रहने वाले हैं. 1980 के दशक में याकूब कुरैशी के सामने परिवार पालने की बड़ी जिम्मेदारी थी. जिस पर हाजी याकूब ने नींबू बेचना शुरू किया. उसके बाद याकूब ने नगर निगम के पुराने कमेले में जाना शुरू किया. यहां से पशु कटान के कारोबार में शामिल होने वाले याकूब ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

याकूब ने पहली बार 1990 में मेरठ के कमेले में पशु कटान का ठेका लिया. याकूब ने अपनी कुरैशी बिरादरी को पशु कटान में उतार दिया. बताया जाता है की इस काम से उनकी आमदनी लाखों में पहुंच गई. 1990 से लेकर 2013 तक कमेले का ठेका एक साल याकूब के पास तो दूसरे साल शाहिद अखलाक परिवार के पास रहा. जिसके बाद हाजी याकूब कुरैशी ने मेरठ से हापुड़ के बीच हाईवे पर जमीन खरीदी. अलीपुर के पास अल फईम मीटेकस प्राइवेट लिमिटेड के नाम से फैक्ट्री लगाई.

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हाजी याकूब ने एक स्कूल और एक अस्पताल भी बनाया. मीट कारोबार के साथ याकूब ने शहर में हापुड़ रोड पर माई सिटी अस्पताल खरीदा, जो बिना लाइसेंस के चल रहा था. इस पर छह अप्रैल 2022 को मेरठ सीएमओ अखिलेश मोहन के आदेश पर सील कर दिया गया. इसके साथ याकूब ने छह साल पहले शास्त्री नगर में माई पब्लिक स्कूल के नाम से कॉलेज भी खड़ा कर दिया.

हाजी याकूब की मेरठ समेत वेस्ट यूपी में मुस्लिम राजनीति में पकड़ रही है. वह 2002 और 2007 में विधायक बने. 2002 में वह खरखौदा सीट से बसपा के टिकट पर विधायक बने थे, जबकि 2007 में बसपा से टिकट नहीं मिलने पर यूपी यूडीएफ उम्मीदवार के तौर पर मेरठ शहर से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की. बाद में वह फिर बसपा में शामिल हो गए.

2012 में चौधरी अजित सिंह की पार्टी रालोद से उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा. मगर सफलता नहीं मिली. हालांकि पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक की हैसियत से राजनीति में वह सक्रिय. 2019 में मेरठ लोकसभा और 2014 में मुरादाबाद लोकसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें जीत हासिल नहीं हुई.

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आपको बता दें कि याकूब की पत्नी संजीदा बेगम मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं. वहीं, बेटा सरधना सीट से 2017 का विधानसभा चुनाव हार चुका है.

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