UP चुनाव: BSP के बाद अब BJP भी करेगी प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन, रणनीति में अलग क्या?

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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के बाद अब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी प्रबुद्ध सम्मेलन करने जा रही है. हालांकि बीजेपी ने प्रबुद्ध सम्मेलन के लिए बीएसपी से अलग रणनीति बनाई है.

क्या है बीजेपी की रणनीति?

बीजेपी उत्तर प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन आयोजित करेगी. 5 सितंबर से शुरू होने वाले पार्टी के प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित राष्ट्रीय और प्रदेश इकाइयों के पदाधिकारी और केंद्रीय मंत्री संबोधित करेंगे.

प्रदेश बीजेपी महामंत्री और प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन अभियान के प्रभारी सुब्रत पाठक के मुताबिक, पार्टी के प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले ‘प्रबुद्ध लोग’ शामिल होंगे. इनमें शिक्षक, प्रोफेसर, इंजीनियर, डॉक्टर, साहित्यकार जैसे वर्गों के लोग होंगे, जिनसे बीजेपी संवाद करेगी.

सम्मेलन में केंद्र और प्रदेश की सरकारों की ओर से जनता के हित में किए जा रहे कामों, सरकार की जनकल्याकारी योजनाओं, उपलब्धियों और लोककल्याणकारी कामों की चर्चा होगी.

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पाठक ने बताया है कि 5 सितंबर को प्रदेश के 17 महानगरों में और 6 सितंबर से 20 सितंबर तक प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे.

इसके अलावा पाठक ने बताया कि योगी आदित्यनाथ वाराणसी में, बीजेपी के प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह प्रयागराज में, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अयोध्या में, प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल लखनऊ में, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कानपुर में, प्रदेश सहसंगठन महामंत्री कर्मवीर सहारनपुर में 5 सितंबर से प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन की शुरुआत करेंगे.

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वहीं, 6 सितंबर से 20 सितंबर तक पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश पदाधिकारी सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन में शामिल होकर अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले ‘प्रबुद्ध लोगों’ से मिलकर संवाद करेंगे.

बीजेपी के प्रबुद्ध सम्मेलन बीएसपी के सम्मेलन से अलग कैसे?

बीएसपी 23 जुलाई से यूपी के अलग-अलग जिलों में प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी का आयोजन कर रही है. ये सम्मेलन बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा की अगुवाई में हो रहे हैं, जो पार्टी के प्रमुख ब्राह्मण चेहरे भी हैं. बीएसपी खास तौर पर इन सम्मेलनों में ब्राह्मण वर्ग का जिक्र कर रही है. दरअसल, उसकी कोशिश है कि 2007 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को जिस दलित-ब्राह्मण गठजोड़ ने सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी, उसे फिर से भुनाया जाए.

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23 जुलाई को अयोध्या में आयोजित हुए बीएसपी के प्रबुद्ध सम्मेलन में सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा था, ”पिछली बार 2007 में सरकार बनने पर तब की मुख्यमंत्री और हमारी नेता मायावती ने ब्राह्मण समाज को सत्ता में बढ़-चढ़कर भागीदारी और सम्मान दिया था, लेकिन आज जाति विशेष को मौजूदा बीजेपी सरकार द्वारा निशाना बनाया जा रहा है.”

वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी के प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलनों में पार्टी के अलग-अलग जातियों के नेता प्रमुखता से दिखेंगे. बीजेपी ने प्रबुद्ध वर्ग का जो वर्गीकरण सामने रखा है, वो भी बीएसपी से अलग है. दरअसल जो बीजेपी शुरुआत में ‘सवर्णों’ की पार्टी मानी जाती थी, उसका फोकस वक्त के साथ दूसरी जातियों पर बढ़ता गया है और पार्टी को इसका चुनावी फायदा भी मिला है. ऐसे में वो अब सिर्फ ब्राह्मणों नेताओं को आगे कर सम्मेलन करने की रणनीति बनाती तो पार्टी पर यह रणनीति भारी पड़ सकती थी.

जहां तक बात है ब्राह्मण वोटरों की, तो सीएसडीएस पोस्ट-पोल सर्वे के मुताबिक, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में 82 फीसदी ब्राह्मणों के वोट मिले थे. जबकि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करीब 80 फीसदी ब्राह्मणों ने वोट किया था.

मगर अब बीजेपी अपनी मजबूत ‘ब्राह्मण वोटबैंक’ में सेंधमारी को कैसे रोकेगी, यह देखना दिलचस्प होगा क्योंकि समाजवादी पार्टी (एसपी) भी ब्राह्मण वोटरों को लुभाने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है.

(समर्थ श्रीवास्तव के इनपुट्स समेत)

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