PWD में ट्रांसफर विवाद: ‘सीख या सबक’ जो भी मिले, क्या जितिन के सियासी भविष्य पर होगा असर?

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यूपी के लोक निर्माण विभाग में बड़ी गड़बड़ियों के सामने आने के साथ ही मुख्यमंत्री की पहल पर कई अधिकारियों और मंत्री के OSD और विभाग के HOD के खिलाफ कार्रवाई तो हो गई. पर अब ये सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस से बीजेपी में आ कर सीधे कैबिनेट मंत्री बने जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) के राजनीतिक भविष्य पर भी क्या असर होगा? इसके पीछे ये सबसे बड़ी वजह है कि दरअसल न सिर्फ लोक निर्माण विभाग में गड़बड़ियों की बात सामने आई, बल्कि इस बात की भी चर्चा होती रही कि जितिन प्रसाद के जिस OSD की सबसे ज्यादा भूमिका बताई जा रही है, वो मंत्री के सबसे करीबी थे. इसीलिए क्या इतने बड़े पैमाने पर तबादलों में गड़बड़ी की भनक खुद मंत्री को नहीं लगी?

भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स को अपनी प्राथमिकता बताने वाली योगी सरकार में इस मामले के सामने आने के बाद चर्चा है कि जितिन प्रसाद को ‘सीख’ या ’सबक’ मिलना तय है.

लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद के OSD अनिल कुमार पांडेय तबादलों को लेकर सबसे ज्यादा घेरे में आए हैं. सवाल उठता देख सचिवालय प्रशासन विभाग ने अनिल कुमार पांडे को मूल विभाग में वापस दिल्ली भेजने का आदेश जारी कर दिया और उनके खिलाफ सतर्कता जांच और कार्रवाई की सिफारिश भी कर दी. मगर इस बीच इस बात की चर्चा लगातार होती रही कि अनिल पांडेय, जितिन प्रसाद के सबसे ज्यादा करीबी हैं, वही उन्हें अपने साथ दिल्ली से लेकर आए थे. ऐसे में जितिन प्रसाद की भूमिका को इससे परे रखना तर्क संगत नहीं है.

मुख्यमंत्री योगी ने न सिर्फ कार्रवाई की पहल की, बल्कि मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रियों को नसीहत देते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और अनियमितता की एक भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. साथ ही ये भी कहा कि मंत्री अपने दफ्तर और स्टाफ पर नजर रखें. इसके बाद दूसरे दिन जितिन प्रसाद के दिल्ली जाने और गृह मंत्री से मिलने की चर्चा है. चर्चा है कि उन्हें दिल्ली तलब किया गया है.

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दरअसल बीजेपी में चुनाव से पहले जॉइनिंग के वक्त से ही जितिन प्रसाद को जिस तरह से पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा बता दिया गया, उससे ये तय था की जितिन प्रसाद को पार्टी में अहम पद और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी. मंत्रिमंडल में सबसे अहम पद देकर ये साबित भी किया गया कि न सिर्फ जितिन प्रसाद को पार्टी महत्व दे रही है, बल्कि पार्टी को जितिन प्रसाद से काफी उम्मीदें भी हैं. लेकिन लोक निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभाग पाने के बाद सिर्फ 100 ही दिन हुए थे कि तबादलों को लेकर हाल के वर्षों का सबसे बड़ा विवाद हो गया.

इस बीच ये बात होती रही कि जितिन अब तक भाजपा कल्चर में घुल मिल भी नहीं पाए हैं. भाजपा जितिन को ब्राह्मण नेता के तौर पर लाई थी, पर जितिन प्रसाद ने 2004 के बाद से कोई चुनाव नहीं जीता है. पार्टी ने उनको एमएलसी बनाया, पर पार्टी के कार्यक्रमों में उनकी सक्रियता कम ही बनी रही. इस बीच लोक निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभाग में इतनी बड़ी गड़बड़ी के सामने आने से अब ये तय है कि पार्टी की नजर जितिन प्रसाद पर होगी.

वरिष्ठ पत्रकार रतन मणि लाल का कहना है, “योगी आदित्यनाथ ने काम करने का एक तरीक़ा पिछले 5 साल में बनाया है. जितिन प्रसाद का खुद को इस कार्यशैली में ढाल न पाना खुद मुख्यमंत्री के लिए असहजता का कारक है. यही बात जितिन प्रसाद के लिए महत्वपूर्ण है.”

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दरअसल खुद योगी आदित्यनाथ सत्ता संभालने के बाद से भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की बात करते रहे हैं. पिछले कार्यकाल में इतना बड़ा कोई मामला सामने नहीं आया, जिसमें विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर सीधे मंत्री पर सवाल उठता. इस बार सरकार बनते हाई ‘transfer policy’ के जरिए सरकार ने एक संदेश देने की कोशिश की, पर उसके बाद ही ये विवाद और ट्रांसफर में गड़बड़ी सामने आ गई.

हालांकि इस पूरे मामले पर जितिन प्रसाद चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन अब उनके व्यवहार और ‘बॉडी लैंग्विज’ पर ही सवाल उठ रहे हैं. जिस तरह से पार्टी में शामिल होने के बाद जितिन अलग-थलग दिखते रहे, उसके भी मायने निकाले जा रहे हैं. ये बात अब बिल्कुल खुले रूप में कही जा रही है कि मंत्री का सारा काम जो OSD अनिल पांडेय सम्भालते थे, उनको वो खास तौर पर लेकर आए था. विभागीय फाइलें ओएसडी के माध्यम से ही मंत्री के पास जाती थीं. ऐसे में क्या इतनी बड़ी गड़बड़ी जिसके लिए OSD को पूरी तरह जिम्मेदार माना जा रहा है, क्या मंत्री को इसकी जानकारी भी नहीं थी?

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आपको बता दें कि अनिल पांडेय इससे पहले केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में अवर सचिव रहे हैं. और उनको जितिन प्रसाद की सिफारिश पर ही उत्तर प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर तैनाती दी गई थी. ये बात पहले से ही चर्चा में रही है कि जितिन प्रसाद के UPA सरकार में मंत्री रहने के दौरान भी अनिल पांडेय उनके साथ तैनात रहे हैं. इसलिए अब जितिन प्रसाद को सीख या सबक मिलना तय है. सीख मिलती है तो भी आगे पार्टी की उन पर नजर रहेगी!

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