जयंत चौधरी के NDA में शामिल होने की अटकलें तेज, चंद्रशेखर आजाद ने दिया चौंकाने वाला बयान

यूपी तक

ADVERTISEMENT

Jayant Chaudhary and Akhilesh Yadav
Jayant Chaudhary and Akhilesh Yadav
social share
google news

राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) नेता जयंत चौधरी के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ जाने की अटकलों के बीच भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद का एक बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि मुझे नहीं लगता है कि जयंत चौधरी भारतीय जनता पार्टी के साथ जाएंगे. 

चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "जयंत चौधरी का परिवार बहुत जिम्मेदार परिवार है. उन्होंने देश देखा है. मैं यह मानता हूं कि वह जो भी फैसला लेंगे किसान और मजदूर हित में लेंगे. मुझे नहीं लगता है कि वह भारतीय जनता पार्टी के साथ जाएंगे."

ऐसी अटकलें हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में सपा के साथ सीटों के बंटवारे पर बात नहीं बनने पर रालोद भाजपा की अगुवाई वाले राजग में शामिल हो सकता है. हालांकि, रालोद नेता ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है.सपा और रालोद ने इसी साल 19 जनवरी को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की घोषणा की थी. गठबंधन के तहत रालोद को सात सीटें दी गई थी. 

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

यादव ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा था, 'रालोद और सपा के गठबंधन पर सभी को बधाई. आइए हम सभी जीत के लिए एकजुट हों.' इस पोस्ट को पुन: पोस्ट करते हुए चौधरी ने कहा था, ‘‘राष्ट्रीय और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार हूं. हम उम्मीद करते हैं कि हमारे गठबंधन के सभी कार्यकर्ता हमारे क्षेत्र के विकास और समृद्धि के लिए मिलकर आगे बढ़ेंगे.’’ उन्होंने दोनों नेताओं की हाथ मिलाते हुए तस्वीरें भी साझा की थीं. 

जाट मतदाता परम्परागत रूप से रालोद का मुख्य वोट बैंक रहे हैं. जाट बहुल लोकसभा क्षेत्रों में मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर, मथुरा, बागपत, अमरोहा और मेरठ शामिल हैं, जिन पर रालोद के चुनाव लड़ने की संभावना है. दोनों दलों ने साल 2022 का विधानसभा चुनाव भी साथ मिलकर लड़ा था. तब  सपा ने 111 सीटें जीती थीं, जबकि रालोद को आठ सीटें मिली थीं. 

ADVERTISEMENT

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी रालोद सपा और बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल था. उस समय रालोद को गठबंधन के तहत मथुरा, बागपत और मुजफ्फर नगर की सीटें मिली थीं, लेकिन तीनों पर ही उसे पराजय का सामना करना पड़ा था. ऐसे में रालोद के पास चौधरी को राज्यसभा भेजने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं था, लेकिन सपा ने उन्हें उच्च सदन में भेजने में उनकी मदद की थी. 

ADVERTISEMENT

    Main news
    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT