सपा सांसद आरके चौधरी ने की संसद भवन से सेंगोल हटाने की मांग, स्पीकर को पत्र लिख कही ये बात
UP News: समाजवादी पार्टी के मोहनलालगंज से लोकसभा सांसद आरके चौधरी के एक पत्र से विवाद पनप गया है. बता दें कि आरके चौधरी ने स्पीकर और प्रोटेम स्पीकर को चिट्ठी लिख संसद में लगे सेंगोल को लेकर सवाल उठा दिया है. उन्होंने स्पीकर से सेंगोल राजा महाराजाओं का प्रतीक बताते हुए इसे हटाने की मांग की है.
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UP News: समाजवादी पार्टी के मोहनलालगंज से लोकसभा सांसद आरके चौधरी के एक पत्र से विवाद पनप गया है. बता दें कि आरके चौधरी ने स्पीकर और प्रोटेम स्पीकर को चिट्ठी लिख संसद में लगे सेंगोल को लेकर सवाल उठा दिया है. उन्होंने स्पीकर से सेंगोल राजा महाराजाओं का प्रतीक बताते हुए इसे हटाने की मांग की है. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया है कि सेंगोल की जगह संसद भवन में संविधान की विशालकाय प्रति स्तापित की जाए.
सपा सांसद ने अपने पत्र में क्या कहा?
सपा सांसद ने अपनी चिट्ठी में कहा, "आज, मैंने इस सम्माननीय सदन में शपथ ली कि 'मैं कानून द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा' लेकिन मैं सदन की कुर्सी के दाईं ओर सेंगोल को देखकर हैरान रह गया. महोदय, हमारा संविधान भारत के लोकतंत्र का एक पवित्र दस्तावेज है, जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है. हमारी संसद लोकतंत्र का मंदिर है, किसी राजा या राजघराने का महल नहीं है. "मैं आग्रह करना चाहूंगा कि संसद भवन में सेंगोल हटाकर उसकी जगह भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति स्थापित की जाए."
14 अगस्त 1947 और सेंगोल के बीच क्या है रिश्ता?
14 अगस्त साल 1947, आजादी सिर्फ 1 दिन दूर और सभी देशवासियों के चेहरे पर खुशी, उस्ताह और उमंग. मगर दूसरी तरफ एक चिंता ये थी कि ब्रिटेन से भारत को मिली आजादी को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाने के लिए क्या किया जाए, कैसा आयोजन किया जाए? यही सवाल लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित नेहरू से पूछा डाला. पंडित नेहरू को भी चिंता होने लगी. उन्होंने फौरन श्री राजगोपालाचारी से संपर्क किया. माना जाता है कि उन्होंने पंडित नेहरू को चोला राजाओं द्वारा अपनाने वाली एक विधि के बारे में बताया, तब जाकर एक शब्द सामने आया. वह शब्द था सेंगोल यानी राजदंड.
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तमिलनाडु के विद्धानों ने प्राचीन पूजन पद्धति के मुताबिक घार्मिक कार्यक्रम किए. प्राचीन गीत गाए गए. फिर 14 अगस्त 1947 के दिन तमिलनाडु के विद्धानों ने पंडित नेहरू को ये सेंगोलउनके हाथों में दिया. इसके माध्यम से प्रतीकात्माक तरीके से ब्रिटेन ने भारत को सत्ता का हस्सांतरण दिया. आखिर सेंगोलका इस्तेमाल कौन करता था? दरअसल चोला राजा अपने उत्तराधिकारी को सेंगोल सौंपते थे. इसे ही सत्ता का हस्तांतरण माना जाता था.
भारतीय राजा की शक्ति और अधिकारों का प्रतीक है सेंगोल
बता दें कि सेंगोलभारतीय राजाओं की शक्ति और अधिकारों का प्रतीक होता था. आपने ब्रिटेन के नए राजा किंग चार्ल-3 की ताजपोशी के दौरान उनके हाथ में एक दंड देखा होगा, जो सोने और कीमती हीरे-जवाहरातों से जड़ा हुआ था. दरअसल यह ब्रिटेन का राजदंड था. मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेंगोलभी सोने-चांदी से बना हुआ है. इसके शीर्ष पर नंदी बने हुए हैं. ये सिर्फ एक सेंगोल या राजदंड नहीं है, बल्कि ये भारतीय की प्राचीन विरासत और इतिहास का प्रतीक है.
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