उपचुनाव के लिए संजय निषाद ने 10 सीटों पर घोषित किए प्रभारी, आखिर क्या हैं इसके मायने?
निषाद पार्टी ने 10 उपचुनाव सीटों के लिए प्रभारी नियुक्त किए, इसे भाजपा पर सीट बंटवारे के लिए दबाव बनाने के रूप में देखा जा रहा है. संजय निषाद ने कटहरी और मंझवा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है.
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UP Political News: निषाद पार्टी ने उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए अपनी रणनीति तेज कर दी है. आपको बता दें कि पार्टी ने 10 विधानसभा सीटों पर अपने प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है. प्रत्येक सीट पर एक विधायक को जिम्मेदारी दी गई है, जिससे पार्टी ने अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया है. इसे भाजपा पर राजनीतिक दबाव बनाने के कदम के रूप में भी देखा जा रहा है, क्योंकि निषाद पार्टी और भाजपा के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान की चर्चाएं चल रही हैं.
भाजपा की ओर से उपचुनाव की तैयारियों के बाद से ही निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कई सार्वजनिक मंचों से कटहरी और मंझवा सीटों पर चुनाव लड़ने की अपनी मंशा जाहिर की है. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि निषाद पार्टी भाजपा से अधिक सीटों की मांग कर रही है और वह गठबंधन में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है.
यह कदम निषाद पार्टी के बढ़ते महत्व को भी दर्शाता है, खासकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में, जहां क्षेत्रीय दलों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. पार्टी द्वारा प्रभारियों की नियुक्ति को उसके समर्थकों के बीच विश्वास बढ़ाने और भाजपा पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के रूप में देखा जा सकता है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा और निषाद पार्टी के बीच सीट बंटवारे को लेकर क्या समझौता होता है और यह उपचुनाव में किस तरह से परिलक्षित होता है.
किन 10 सीटों पर होगा उपचुनाव?
जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें कटेहरी (अंबेडकर नगर), करहल (मैनपुरी), मिल्कीपुर (अयोध्या), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर नगर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) शामिल हैं. इन सीटों में से नौ सीट लोकसभा चुनाव में सपा विधायकों के सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई हैं, जबकि सीसामऊ सीट सपा के इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में जेल की सजा होने के बाद उनकी सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई है.
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