आज हो सकता है मिल्कीपुर उपचुनाव का ऐलान, जानें सपा और भाजपा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है ये सीट?
Milkipur Byelection: मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है. आपको बता दें कि आज यानी मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही संभवत मिल्कीपुर उपचुनाव की घोषणा भी हो सकती है.
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Milkipur Byelection: मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है. आपको बता दें कि आज यानी मंगलवार को Delhi Vidhansabha chunav की घोषणा के साथ ही संभवत मिल्कीपुर उपचुनाव की घोषणा भी हो सकती है. उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीट के हाल ही में संपन्न उपचुनाव में छह सीट जीतकर उत्साहित भाजपा के लिए मिल्कीपुर सीट(Milkipur seat) प्रतिष्ठा का सवाल है और वह उसे जीतने की भरसक कोशिश करेगी. वहीं, दूसरी तरफ सपा ने भी इस उपचुनाव के लिए अपनी तैयारी तेज कर दी हैं.
मालूम हो कि मिल्कीपुर सीट का उपचुनाव भी पूर्व में हुए नौ विधानसभा सीट के उपचुनाव के साथ ही होना था लेकिन साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट के लिए हुए निर्वाचन को लेकर अदालत में याचिकाएं दायर होने की वजह से यहां उपचुनाव नहीं हो सका था. मगर हाल ही में यह बाधा समाप्त होने के बाद मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर निर्वाचन क्षेत्र से सपा नेता प्रसाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को वापस लेने की अनुमति दे दी, जिससे सीट पर उपचुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया.
पिछले महीने नौ विधानसभा सीट(vidhan sabha seat) के हुए उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली भाजपा मिल्कीपुर सीट जीतकर अपना विजय अभियान जारी रखने की उम्मीद कर रही है, जबकि सपा इस हाई-प्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्र पर अपना कब्जा बरकरार रखने की कोशिश में है. विधानसभा की नौ सीट के लिए हाल में संपन्न उपचुनाव में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया और उसने मुरादाबाद में कुंदरकी जैसे सपा के गढ़ सहित छह सीट जीतीं, जबकि उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को एक सीट मिली. सपा ने सीसामऊ और करहल विधानसभा सीट जीतीं मगर इन दोनों ही क्षेत्रों में उसके वोट प्रतिशत में काफी गिरावट आई.
Milkipur विधानसभा उपचुनाव में भाजपा 'बंटेंगे तो कटेंगे' जैसे नारों के जरिए हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश कर सकती है जबकि सपा अपने 'पीडीए' (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) के नारे पर भरोसा कर सकती है.
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क्यों महत्वपूर्ण है ये सीट?
Milkipur Seat इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उस अयोध्या लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है जिस पर पिछले लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की थी. उससे पहले वह मिल्कीपुर विधानसभा सीट से विधायक थे. सांसद चुने जाने के बाद उनके इस सीट से इस्तीफा देने के चलते यहां उपचुनाव कराना जरूरी हो गया है.
मिल्कीपुर में अहम भूमिका निभाते हैं Dalit Voter
मिल्कीपुर के जातीय समीकरणों पर निगाह डालें तो यहां दलित वोट अहम भूमिका निभाते हैं. सीट पर 3.5 लाख पात्र मतदाताओं में से 1.2 लाख दलित, करीब 55,000 यादव (ओबीसी) और 30,000 मुस्लिम हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जो भी दलितों के साथ-साथ 60,000 ब्राह्मणों, 25,000 क्षत्रियों और अन्य पिछड़े वर्गों का समर्थन हासिल करेगा, वही विजयी होगा. देखना यह है कि क्या सपा का 'पीडीए' फॉर्मूला इस सीट पर उसी तरह काम करेगा जैसा इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में किया था या फिर भाजपा जातिगत विभाजन को अपने पक्ष में करने में कामयाब हो पाती है.
सपा ने किसे दिया यहां टिकट?
सपा ने Milkipur Vidhan sabha chunav के लिए अयोध्या से मौजूदा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया है, वहीं भाजपा ने अभी तक अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है. बसपा ने पहले ही उपचुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस अपने सहयोगी दल सपा को समर्थन जारी रख सकती है.