मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर मायावती ने कसा तंज, ‘कांग्रेस को बुरे दिन में याद आते हैं दलित’

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UP Political News: कांग्रेस को मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में नया अध्यक्ष मिला तो यूपी में बहुनज समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती को तंज कसने का मौका भी मिल गया. मायावती ने देश की सबसे पुरानी पार्टी के नए अध्यक्ष के चुनाव पर कहा है कि कांग्रेस अच्छे दिनों में गैर दलितों को याद रखती है और बुरे दिनों में उसे दलित याद आते हैं. आपको बता दें कि बुधवार को वोटों की काउंटिंग के बाद कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे विजेता घोषित किए गए. 80 साल के खड़गे ने अपने प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर को 6,825 मतों के अंतर से पराजित किया. खड़गे को 7,897 वोट मिले और थरूर को 1,072 वोट हासिल हुए.

गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को मतदान हुआ था, जिसमें देश भर के 9500 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने वोट डाले थे. अब इसे लेकर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अब कांग्रेस को निशाने पर लिया है. मायावती ने गुरुवार को ट्वीट कर कांग्रेस पर निशाना साधा. मायावती ने ट्वीट में लिखा, ‘कांग्रेस का इतिहास गवाह है कि इन्होंने दलितों व उपेक्षितों के मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर व इनके समाज की हमेशा उपेक्षा/तिरस्कार किया. इस पार्टी को अपने अच्छे दिनों में दलितों की सुरक्षा व सम्मान की याद नहीं आती बल्कि बुरे दिनों में इनको बलि का बकरा बनाते हैं.’

बसपा सुप्रीमो ने अगले ट्वीट में लिखा,

“अर्थात् कांग्रेस पार्टी को अपने अच्छे दिनों के लम्बे समय में अधिकांशतः गैर-दलितों को एवं वर्तमान की तरह सत्ता से बाहर बुरे दिनों में दलितों को आगे रखने की याद आती है. क्या यह छलावा व छद्म राजनीति नहीं? लोग पूछते हैं कि क्या यही है कांग्रेस का दलितों के प्रति वास्तविक प्रेम?”

मायावती

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आपको बता दें कि इसी तरह कांग्रेस ने जब पंजाब में दलित चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाया था, तब भी मायावती ने कांग्रेस पर हमला बोला था.

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता हैं मल्लिकार्जुन खड़गे

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राजनीति में 50 साल से अधिक समय से सक्रिय मल्लिकार्जुन खड़गे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अध्यक्ष बनने वाले एस निजालिंगप्पा के बाद कर्नाटक के दूसरे नेता और जगजीवन राम के बाद इस पद पर पहुंचने वाले दूसरे दलित नेता भी हैं. लगातार नौ बार विधायक चुने गये खड़गे के सियासी सफर का ग्राफ उत्तरोत्तर चढ़ाव दिखाता है. उन्होंने अपना सियासी सफर गृह जिले गुलबर्ग (कलबुर्गी) में एक यूनियन नेता के रूप में किया. वर्ष 1969 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और गुलबर्ग शहरी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने.

चुनावी मैदान में खड़गे अजेय रहे हैं और साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कर्नाटक खासकर हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में नरेंद्र मोदी लहर के बावजूद गुलबर्ग से 74 हजार मतों के अंतर से जीत हासिल की. उन्होंने साल 2009 में लोकसभा चुनाव के मैदान में कूदने से पहले गुरुमितकल विधानसभा क्षेत्र से नौ बार जीत दर्ज की. वह गुलबर्ग से दो बार लोकसभा सदस्य रहे.

हालांकि, साल 2019 के चुनाव में खड़गे को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता उमेश जाधव के हाथों गुलबर्ग में 95,452 मतों से हार का सामना करना पड़ा.अपने गृह राज्य कर्नाटक में ‘सोलिल्लादा सरदारा’ (कभी नहीं हारने वाला नेता) के रूप में मशहूर खड़गे के लिए कई दशकों के सियासी सफर में यह उनकी पहली हार थी.

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(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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