‘बैलेंस ऑफ पावर’ के लिए INDIA या NDA, किसके साथ जाएंगी मायावती? BSP ने दिए ये बड़े संकेत
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में इस वक्त एक सियासी सवाल बड़े जोरशोर से पूछा जा रहा है. वह सवाल यह है कि मायावती और…
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Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में इस वक्त एक सियासी सवाल बड़े जोरशोर से पूछा जा रहा है. वह सवाल यह है कि मायावती और बहुजन समाज पार्टी (BSP) 2024 के लोकसभा चुनावों में किसके साथ जाएंगी. पिछले दिनों विपक्ष ने बेंगलुरु में बैठक कर विपक्षी एकता का ऐलान करते हुए INDIA गठबंधन बनाया, तो मायावती (Mayawati) का आक्रामक रुख देखने को मिला. उन्होंने तब साफ कहा था कि वह न तो INDIA के साथ हैं और न ही NDA के. हालांकि इस बीच मायावती का एक ऐसा बयान सामने आया है, जिसने नई सियासी संभावनाओं की ओर इशारा करना शुरू कर दिया है.
मायावती ने ‘बैलेंस ऑफ पावर’ का हवाला देते हुए संकेत दिए हैं कि भविष्य में वह किसी गठबंधन का हिस्सा जरूर बन सकती हैं. आइए पहले जान लेते हैं कि मायावती और बीएसपी ने कहा क्या है. असल में बीएसपी की एक प्रेस विज्ञप्ति मायावती के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट की गई है. इसके मुताबिक मायावती ने छत्तीसगढ़, तेलंगाना के बाद अब पार्टी के पदाधिकारियों के साथ राजस्थान और मध्य प्रदेश के उभरते नए सियासी हालात पर पार्टी पदाधिकारियों से बात की है.
इस प्रेस विज्ञप्ति का पॉइंट नंबर 2 महत्वपूर्ण
प्रेस रिलीज के पॉइंट 2 में लिखा गया है, ‘कई राज्यों में बैलेंस ऑफ पावर के बावजूद जातिवादी तत्व द्वारा साम, दाम, दंड, भेद आदि अनेकों घिनौने हथकंडे अपनाकर बीएसपी के विधायकों को तोड़ लेते हैं, जिससे जनता के साथ विश्वासघात करके घोर स्वार्थी जनविरोधी तत्व सत्ता पर काबिज हो जाते हैं. अतं: आगे इन विधानसभा आमचुनाव के बाद बैलेंस ऑफ पावर बनने पर, लोगों की चाहत के हिसाब से, सरकार में शामिल होने पर विचार संभव.’
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इस पूरी प्रेस रिलीज को यहां नीचे देखा जा सकता है.
25-07-2023-BSP PRESS NOTE-MP-RAJASTHAN POLL PREPARATION MEETING pic.twitter.com/qsiI1m2oJi
— Mayawati (@Mayawati) July 25, 2023
असल में क्या इशारा कर रही हैं मायावती?
इस बात को समझने के लिए हमने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड पॉलिटिक्स (CSSP), कानपुर के नेशनल कोआर्डिनेटर और पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर डॉक्टर संजय कुमार से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया, ‘इसमें दो बातें हैं. पहली बात यह है कि बीएसपी अपने घटते जनाधार से चिंतित है. बीएसपी को समझ में आ गया है कि सत्ता में रहने से लोग जुड़ते हैं, बाहर रहने पर लोग टूट जाते हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि बीएसपी चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए भी अपना ऑफर दे रही है. खुलकर नहीं कर रही है, लेकिन इसे संकेत समझा जाए. मायावती सत्ता में भागीदारी चाह रही हैं.’
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प्रोफेसर संजय कुमार ने बात को और समझाने के लिहाज से आगे कहा, ‘इस हिसाब से आप मान कर चलिए कि राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद ही मायावती तय करेंगी कि वह INDIA के साथ हैं या NDA के साथ. अगर राजस्थान, मध्य प्रदेश में कांग्रेस की वापसी हो गई, तो बसपा INDIA के साथ नजर आ सकती है और अगर बीजेपी को सत्ता मिली, तो उनका रुख NDA की ओर भी हो सकता है.’
यानी मायावती ने अभी भी सियासी संभावनाओं को ओपन कर रखा है. हालांकि इतना जरूर है कि अबतक किसी भी तरह के गठबंधन को नकारने का रुख दिखाने वाली मायावती ने अब इसे लेकर थोड़ा लचीलापन जरूर दिखाया है. ऐसे में इतना तो तय है कि यूपी में आने वाला वक्त सियासी रूप से काफी रोचक रहने वाला है.
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