जाति जनगणना की घोषणा के बाद विपक्ष के लिए किस ओर जाएगी यूपी की सियासत, अखिलेश का क्या होगा प्लान?
UP Political News: जातीय जनगणना को मंजूरी के बाद यूपी की सियासत में हलचल तेज़, अखिलेश यादव ने बताया सपा के दबाव का नतीजा, 2027 की रणनीति पर नजर।
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UP Political News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की कमेटी ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जाति जनगणना को मंजूरी दे दी है. इस निर्णय को विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे सबसे बड़े मुद्दे को छीनते हुए मोदी सरकार ने यह फैसला लिया है. अब इसका असर यूपी में क्या पड़ने वाला है, सबकी नजर इसी पर टिकी है क्योंकि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पास से सरकार पर प्रहार करने वाला एक बहुत बड़ा मुद्दा अब मुद्दा नहीं रह गया है.
एक ओर बीजेपी इस निर्णय के साथ खुद को अंबेडकर का सबसे करीबी दिखाने का चौसर फेंक चुकी है, तो वहीं दूसरी ओर एक होड़ विपक्ष में भी लगी है कि आखिर वो इसका क्रेडिट कैसे ले. कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने फैसले का स्वागत किया है और कहा है 11 साल से विरोध करने के बाद सरकार ने अचानक यह घोषणा की है लेकिन उसे इसका समय भी बताना चाहिए. अब बारी आती है इस फैसले के यूपी में इंपैक्ट की.
अखिलेश ने क्या कहा?
अखिलेश यादव ने जातीय जनगणना के सवालों पर जवाब देकर कहीं न कहीं सपा का जवाब भी साफ कर दिया है. उन्होंने कहा 'हमें खुशी इस बात की है कि सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए एक कदम तो बढ़ा है. जातिगत जनगणना का फैसला PDA की जीत है. सरकार मजबूरन बाध्य हुई है लगातार हमारे प्रेशर बनाने के बाद.'
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अखिलेश ने इस बात को साफ किया है कि वह सपा का प्रेशर था जिसका असर इस फैसले में दिखा. अखिलेश ने आगे कहा 'इनकी चुनावी धांधली सबने देखी है. बीजेपी को यह चेतावनी है कि अपनी चुनावी धांधली को जातीय जनगणना से दूर रखें. एक ईमानदार जनगणना ही हक दिलवाएगी जिसपर अभी तक वर्चस्ववादी फन मारकर बैठे हैं.'
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उन्होंने कहा कि 'मैं मानता हूं कि यह इंडिया की जीत हुई है. एक लंबी लड़ाई के बाद आज सरकार तैयार हो गई है. यह मुद्दा हमेशा जिम्मेदारी से समाजवादियों ने उठाया. अब सच्चा डेटा और जानकारी मिल जाएगी जो मकसद था जस्टिस और इक्वेलिटी का."
बड़ी बात यह भी है कि जातीय जनगणना के लिए भले ही केंद्र ने हरी झंडी दे दी हो, लेकिन यह किस तरह और कितनी निष्पक्षता से होगा यह मुद्दा जरूर समाजवादी पार्टी के लिए बाकी रह गया है. अब यह कितना बड़ा मुद्दा बनता है, यह वक्त बताएगा. फिलहाल, अखिलेश यादव जातीय जनगणना के बाद अब करणी सेना और सांसद रामजी सुमन के मुद्दे को भुनाने की ज्यादा कोशिश कर सकते हैं, जिससे 2027 में एक हर फिर मंडल बनाम कमंडल की पिच तैयार हो सके.