बदले-बदले से हैं CM योगी! दूसरे टर्म में BJP नेताओं के लिए ज्यादा सुलभ दिख रहे ‘महाराज जी’

कुमार अभिषेक

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अपने ‘कड़क और नो नॉनसेंस मिजाज’ के लिए जाने जाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बार कहीं ज्यादा सुलभ दिखाई दे रहे हैं! सबसे ज्यादा चर्चा विधायकों के बीच है कि इस बार तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. महाराज जी के नाम से विधायकों के बीच लोकप्रिय सीएम योगी इस बार बिना किसी देरी के विधायकों से मिल रहे हैं, उनकी बात सुन रहे हैं और उनकी जायज मांग पर अविलंब कार्रवाई भी हो रही है.

आलम यह है कि अगर किसी अधिकारी के खिलाफ कोई जनप्रतिनिधि भ्रष्टाचार की शिकायत करता है तो उस पर अविलंब जांच हो रही है. औरैया डीएम सुनील वर्मा का निलंबन इसका ताजा उदाहरण है. सांसद और ब्लॉक प्रमुख की शिकायत के बाद कानपुर के विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर दस्तावेजों के साथ जब औरैया डीएम की शिकायत की तो अविलंब कार्रवाई हुई. डीएम को सस्पेंड कर दिया गया.

ऐसा कहा जा रहा है कि पहले विधायकों से नहीं मिलने, उनकी बात नहीं सुनने वाले डीएम और एसपी अब बीजेपी विधायक या फिर संगठन के लोगों की बात बड़े ध्यान से सुनने लगे हैं. सिर्फ मुख्यमंत्री ही विधायकों के लिए सुलभ नहीं है. बल्कि अधिकारियों को भी और बीजेपी विधायक और सांसदों की बातों को तवज्जो देने का स्पष्ट निर्देश जारी हो गया है.

नाम न छापने की शर्त पर एक विधायक ने कहा कि पहले मुख्यमंत्री से मिलना बहुत मुश्किल था इसलिए कई विधायकों ने तो वक्त मांगना भी छोड़ दिया था, लेकिन इस दूसरे कार्यकाल में आसानी से वक्त मिल रहा है, और उनकी सुनी जा रही है.

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दरअसल, सबको साथ लेकर चलने का मंत्र इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साध रखा है. ऐसा ही इशारा इस बार केंद्रीय नेतृत्व से भी सीएम योगी को मिला है, क्योंकि पिछले कार्यकाल में विधायकों की बगावत का भूत आज तक पीछा नहीं छोड़ रहा. गाहे-बगाहे वह चर्चा निकल जाती है कि कैसे पिछले कार्यकाल में करीब डेढ़ सौ से ज्यादा विधायकों ने अचानक ही विधानसभा के भीतर मोर्चा खोल दिया था.

बदले बदले योगी आदित्यनाथ का रूप इस बार शुरू से ही दिखने लगा. हालांकि इसके पीछे की वजह जरूर बीजेपी आलाकमान की नसीहत का असर माना जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री का यह व्यवहार विधायकों और संगठन के लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है.

दरअसल मुख्यमंत्री इस बार संगठन को भी तवज्जो देते दिखाई दे रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक कई बार वह बीजेपी दफ्तर आ चुके हैं. अमूमन वह बड़े कार्यक्रमों या बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही बीजेपी दफ्तर का रुख किया करते थे, लेकिन मैं कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ छोटे बड़े सभी कार्यक्रमों में शिरकत करते दिखाई दे रहे हैं.

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सबसे ज्यादा चर्चा हाल ही में सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के साथ एक गाड़ी में बैठ कर कैबिनेट की बैठक जाने की रही है. बता दें कि बांग्लादेश से भागे हिंदू परिवारों को जमीनों के पट्टा देने के कार्यक्रम में दोनों साथ पहुंचे थे. कार्यक्रम खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद पहल कर केशव मौर्य को एक साथ कैबिनेट में चलने को कहा. यह दृश्य भी बड़े बदलाव के संकेत की ओर इशारा कर रहे हैं, क्योकि पिछले कार्यकाल में दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा किसी से छुपा नहीं था.

माना जा रहा है पिछली बार मुख्यमंत्री के आसपास कुछ मंत्रियों ने अपनी कोटरी बना ली थी और उनमें सीएम के नजदीक दिखने की एक होड़ सी लगी रहती थी. मगर इसबार वो कोटरी गायब है. कुछ चुनाव हार गए, कुछ मंत्रिमंडल से बाहर कर दिए गए. ऐसे में अब सीएम की एक नई टीम उभर कर सामने है.

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सीएम योगी और दोनों डिप्टी सीएम की एक नई तिकड़ी ने पहली बार एक साथ राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात की थी, जिसकी तस्वीरों ने खूब सुर्खियां बटोरीं. सरकार बनने के बाद तीनों की एक साथ मुलाकात इसलिए भी चर्चा का विषय रही कि कभी ऐसी तस्वीर किसी ने नहीं देखी थी. हालांकि इसके पीछे आलाकमान की यह सोच साफ दिखाई देती है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी तरह का नेताओं के बीच आपसी विवाद का असर पार्टी पर नहीं दिखाई देना चाहिए और योगी ही नहीं बल्कि टीम योगी सामने होनी चाहिए.

माना जा रहा है कि यह बदलाव सीएम योगी के स्वभाव के विपरीत है, लेकिन इस बदलाव ने पार्टी के लोग ज्यादा सुकून महसूस कर रहे हैं.

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