जयंत के अलग होते ही अखिलेश यादव ने खोला मोर्चा, RLD के गढ़ से इस अनुभवी नेता को बनाया उम्मीदवार 

रजत कुमार

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Akhilesh Yadav and Jayant Chaudhary
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UP Lok Sabha Chunav 2024: समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का एलान कर दिया है. पार्टी ने अपनी दूसरी लिस्ट में गाजीपुर से भी उम्मीदवार का एलान किया है. सपा ने गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल अंसारी को उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा मुजफ्फरनगर से हरेंद्र मलिक को प्रत्याशी बनाया है. बता दें कि मुजफ्फरनगर राष्ट्रीय लोक दल के प्रभाव वाली सीटों में से एक है. अब सपा ने इसपर जीत हासिल करने के लिए अपने अनुभवी नेता को मैदान में उतारा है.

सपा ने इस अनुभवी नेता को मैदान में उतारा

वहीं कुछ दिनों पहले यूपीतक से बात करते हुए हरेंद्र मलिक ने कहा था कि, 'RLD के साथ नहीं रहने से को नुकसान हुआ है लेकिन अभी चुनाव में वक्त है. हम इस दौरान नाराज लोगो के पास जाएंगे उनसे बात करेंगे. साथ देने की खुशामद करेंगे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाट अभी किसानों के अपमान को नहीं भूला है. किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों और कुश्ती में जिस तरह से बेटियों का अपमान हुआ. चौधरी चरण सिंह के सामान को उनके बंगले से बाहर फेंका गया यह सब जाट नहीं भूला है और इसका बदला जाट जरूर लेगा. भाजपा सिर्फ मंदिर मस्जिद की राजनीति करती है. उसके पास मंदिर मस्जिद के नाम पर लड़वाने के अलावा कुछ है ही नहीं.'

2013 के बाद बदल गए समीकरण 

बता दें कि 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद धार्मिक आधार पर मतों का विभाजन हुआ. वहीं मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से भाजपा के संजीव बालियान लगातार दो बार से सांसद हैं.  संजीव बालियान 2014 से ही सांसद हैं.  2019 में उन्होंने अजित सिंह जैसे बड़े नेता को हराया था. भाजपा के सामने वेस्ट यूपी में मुख्य विपक्षी आरएलडी और सपा का गठबंधन थी, जिसमें अब जयंत चौधरी ने पाला बदल लिया है. मुजफ्फरनगर में  2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा-आरएलडी गठबंधन काफी मजबूत थी.  मुजफ्फरनगर की 6 में से 5 विधानसभा गठबंधन ने जीत भी दर्ज की थी लेकिन अब जयंत चौधरी के NDA के साथ जाने के फैसले के बाद समीकरण बदल सकते हैं. 

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कौन हैं हरेंद्र मलिक 

 हरेंद्र मलिक को पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाटों का एक बड़ा नेता माना जाता है. साथ ही हरेंद्र मलिक अल्पसंख्यक समाज में भी अपनी बड़ी पकड़ रखते हैं.1978 में डीएवी डिग्री कॉलेज के छात्र संघ चुनाव में जीत हासिल कर हरेन्द्र मलिक ने राजनीति में कदम रखा था. 1985 में मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से हरेंद्र मलिक ने दलित मजदूर किसान पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1989 में मुजफ्फरनगर की बघरा विधानसभा सीट से हरेंद्र मलिक ने जनता दल से लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद 1991 और 1993 के चुनाव को भी हरेंद्र मलिक बघरा सीट से जनता दल के टिकट पर जीते थे. तो वही 1996 का चुनाव वह इस सीट से हार गए थे. हरेंद्र मलिक 2002 में हरियाणा से इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी से राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं.
 


 

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