अखिलेश यादव से वापस हाथ मिला सकते हैं जयंत चौधरी? इस सवाल का सपा चीफ ने दिया ये जवाब
UP News: हमारे सहयोगी ‘आज तक’ के साथ खास बातचीत में समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव से पूछा गया कि क्या आपको उम्मीद है कि जयंत चौधरी फिर से आपसे हाथ मिला सकते हैं? इस सवाल के जवाब में सपा चीफ ने जो जवाब दिया, वह अब राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है.
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UP Politics: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी ने सपा चीफ अखिलेश यादव का साथ छोड़ भाजपा नीत एनडीए का दामन थाम लिया था. जयंत ने भाजपा के साथ मिलकर 2 सीटों पर चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. अब जयंत चौधरी मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और उनकी पार्टी एनडीए में शामिल है. मगर पिछले कुछ दिनों से जयंत चौधरी ने भाजपा सरकार के कुछ फैसलों को लेकर खुले तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. इसी को लेकर सियासी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या यूपी की राजनीति में एक बार फिर बड़ा परिवर्तन हो सकता है? क्या एक बार फिर रालोद चीफ जयंत चौधरी पाला बदल कर अखिलेश से हाथ मिला सकते हैं?
अब खुद अखिलेश यादव ने इस सवाल का जवाब दिया है. हमारे सहयोगी ‘आज तक’ के साथ खास बातचीत में समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव से पूछा गया कि क्या आपको उम्मीद है कि जयंत चौधरी फिर से आपसे हाथ मिला सकते हैं? इस सवाल के जवाब में सपा चीफ ने जो जवाब दिया, वह अब राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है.
जयंत पर क्या बोले अखिलेश यादव?
इस सवाल का जवाब देते हुए अखिलेश यादव ने कहा, राजनीति में किसकी क्या मजबूरी है, उसके बारे में हम कुछ नहीं कह सकते. लोग जहां जाना चाहते हैं, जा सकते हैं. इसके बाद अखिलेश यादव ने कहा, ‘हमारे साथ कौन आना चाहेगा? हम पर देने के लिए क्या है? हमारे पास ना बजट है और ना ही मंत्री पद. हम क्या दे सकते हैं? लोग वहीं जाते हैं, जहां कुछ लाभ होता है. हमारे पास क्या लाभ है अभी?’
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योगी सरकार के फैसले का किया था विरोध
आपको बता दें कि कांवड़ यात्रा के दौरान दुकान पर दुकान मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखवाने का आदेश योगी सरकार ने दिया था. इसको लेकर भारी विवाद हुआ था. योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ रालोद चीफ जयंत चौधरी ने भी अपना बयान दिया था. उन्होंने साफ कहा था कि ये फैसला भाजपा ने ज्यादा सोच समझकर नहीं लिया है. बस ले लिया है. इसलिए सरकार इसपर टिकी हुई है. जयंत ने कहा था कि अभी भी समय है कि सरकार को ये फैसला वापस ले लेना चाहिए. इसी के बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि क्या जयंत और भाजपा में सब ठीक है?
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