पश्चिमी यूपी से सैनी बिरादरी के दो बड़े चेहरों को बीजेपी में शामिल करा पार्टी ने चला ये दांव
UP Politics news: पिछले दिनों लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश कार्यालय में पिछड़े नेताओं की एक पूरी फौज ने भाजपा जॉइन की.…
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UP Politics news: पिछले दिनों लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश कार्यालय में पिछड़े नेताओं की एक पूरी फौज ने भाजपा जॉइन की. इनमें पश्चिम के 2 जिलों मुजफ्फरनगर और सहारनपुर से आने वाले दो नेताओं की जॉइनिंग ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. मुजफ्फरनगर जिले के राजपाल सैनी और सहारनपुर के रहने वाले साहिब सिंह सैनी की जॉइनिंग को लेकर खूब चर्चा रही.
साहब सिंह सैनी ने तो अपना पूरा शक्ति प्रदर्शन कर डाला. हजारों की तादाद में समर्थकों और गाड़ियों का हूजूम खड़ा कर दिया. वजह भी साफ थी साहब सिंह सैनी उसी सहारनपुर के हैं, जहां से धर्मसिंह सैनी भी आते हैं. पश्चिम में धर्मसिंह सैनी को सैनी बिरादरी का सबसे बड़ा नेता माना जाता है, लेकिन भाजपा में उनकी एंट्री को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रोक दिया.
इसकी वजह भी साफ़ थी. धर्मसिंह सैनी पर योगी मंत्रिमंडल में आयुष मंत्री रहते हुए घोटाले का आरोप लगा है. उन पर जांच चल रही है. ऐसे में साहब सिंह सैनी ने खुद को सहारनपुर का सबसे बड़ा नेता पेश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. वहीं, राजपाल सैनी आरएलडी से भाजपा में आए हैं और जयंत के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं.
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धर्म सिंह सैनी की एंट्री न होने से नुकसान के डैमेज कंट्रोल की कोशिश!
दरअसल 2022 में चुनाव से ठीक पहले 3 बड़े पिछड़े नेताओं ने भाजपा छोड़ी थी. यह तीनों नाम थे स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्मसिंह सैनी और दारा सिंह चौहान. दारा सिंह चौहान की तो बीजेपी में एंट्री हो गई लेकिन धर्म सिंह सैनी की बीजेपी में एंट्री होते-होते रह गई. धर्म सिंह सैनी काफी वक्त से बीजेपी में दोबारा वापसी चाहते थे. संगठन से लेकर बड़े नेताओं तक से उनकी बातचीत हो गई थी. यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंच पर पार्टी जॉइन करने के लिए वह सहारनपुर से मुजफ्फरनगर के लिए निकल भी गए थे, लेकिन उन्हें वापस लौटना पड़ा.
योगी आदित्यनाथ ने उनको अपने मंच से जॉइन कराने से मना कर दिया था. तबसे धर्मसिंह सैनी की एंट्री बीजेपी में रुक गई. ऐसा लगता है मानों अब धर्मसिंह सैनी की बीजेपी में वापसी नहीं हो सकती. हालांकि धर्मसिंह सैनी को भाजपा में नहीं लेने का नुकसान पार्टी को ना हो जाए इसलिए पार्टी ने पश्चिम के दूसरे सैनी चेहरों को जोड़ने की कवायद शुरू कर दी.
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खतौली के चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा में जब धर्मसिंह सैनी को आने से रोक दिया गया और बीजेपी सैनी बाहुल्य क्षेत्र मैं चुनाव हार गई तभी से पार्टी को लगने लगा था कि कहीं सैनी बिरादरी के गुस्से का पार्टी शिकार ना हो जाए. ऐसे में धर्म सिंह सैनी की काट के तौर पर साहब सिंह सैनी और राजपाल सैनी को बीजेपी ने पार्टी में लिया है.
हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज भी धर्मसिंह सैनी सैनियों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं. उनकी एंट्री नहीं होने पर बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल के तौर पर दूसरे दो सैनी चेहरों को जॉइन कराया है.
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गैर जाट ओबीसी गोलबंदी की कोशिश में जुटी बीजेपी
एक और थ्योरी भी चल रही है कि चूंकि जयंत चौधरी ने बीजेपी के साथ आने से मना कर दिया है, ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गैर जाट ओबीसी गोलबंदी बीजेपी के लिए जरूरी है. इसलिए बीजेपी ने वहां दूसरे सभी ओबीसी बिरादरी को अपनी तरफ जोड़ने की मुहिम शुरू की है. इसमें सैनी बिरादरी इसलिए अहम है, क्योंकि उनकी तादाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है.
इसी वजह से बीजेपी ने आरएलडी और समाजवादी पार्टी के दोनों सैनी चेहरे को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है. बहरहाल इन दोनों के भाजपा में आने का पश्चिम में पार्टी को कितना फायदा होगा ये कहना तो मुश्किल है, लेकिन सैनी बिरादरी के वोट पार्टी से छिटके नहीं इसकी तैयारी बीजेपी ने जरूर कर ली है.
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