किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह ने जब इंदिरा गांधी को भिजवाया जेल, जानें ये दिलचस्प किस्सा
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. पीएम मोदी ने खुद एक्स पर पोस्ट कर इस बात का ऐलान किया.
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Uttar Pradesh News : आज भी जब किसानों की बदहाली और उनकी दिक्कतों के सवाल अनसुने किए जाते हैं तो बर्बस ही चौधरी चरण सिंह की कमी जुबां पर आ जाती है. केंद्र सरकार ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों से सबसे बड़े नेता रहे चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. पीएम मोदी ने खुद एक्स पर पोस्ट कर इस बात का ऐलान किया. राष्ट्रीय लोक दल की तरफ से इसकी मांग काफी लंबे आरसे की जा रही थी.
बागपत के विधायक से देश के गृहमंत्री तक
भारत के प्रधानमंत्री के कार्याकल की सूची में चौधरी चरण सिंह का नाम बहुत ही कम समय के लिए दर्ज है, लेकिन राजनीति और देश सेवा में उनका योगदान सुनहरे अक्षरों में अपनी जगह रखता है. वो भारत के इकलौते ऐसे नेता रहे हैं जिन्हें किसान अपना सबसे बड़ा नेता मानते हैं. बागपत के विधायक से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री चुने जाने तक चरण सिंह में इतना आत्मविश्वास आ चुका था कि राष्ट्रीय राजनीति में वो यूपी की सबसे बड़ी सियासी धुरी बन गए. उनके राजनीतिक तेवर ऐसे थे कि आयरन लेडी कहलाने वाली इंदिरा गांधी को भी उन्होंने जेल भिजवाकर ही दम लिया. आइए जानते हैं वो किस्सा.
इमरजेंसी और चौधरी चरण सिंह
बता दें कि 25 जून 1975 को पूरे देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इमरजेंसी लगा दी थी. विपक्षी नेताओं को जेल भेज दिया था. वहीं इसके बाद 1977 में लोकसभा चुनाव हुए और जनता पार्टी की सरकार बनी. तब देश में पहली ग़ैर कांग्रेसी सरकार बनी थी. प्रधानमंत्री की कुर्सी मोरार जी देसाई ने संभाली. चुनाव में इंदिरा गांधी की हार के बाद उनकी गिरफ्तारी का रास्ता और साफ हो गया. तत्कालीन गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह तो जनता पार्टी की सरकार बनते ही इंदिरा गांधी के पक्ष में थे लेकिन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का कहना था कि बगैर ठोस आधार के इंदिरा गांधी को गिरफ्तार नहीं किया जाए. ऐसे में चौधरी चरण सिंह किसी मजबूत केस की तलाश में थे, जिसे आधार बनाकर इंदिरा को जेल भेजा सके.
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गिरफ्तारी का कारण
इंदिरा गांधी पर चुनाव प्रचार में इस्तेमाल की गईं जीपों की खरीदारी में भ्रष्टाचार का आरोप लगा था. रायबरेली में चुनाव प्रचार के मकसद से इंदिरा गांधी के लिए 100 जीपें खरीदी गई थीं. उनके विरोधियों का आरोप था कि जीपें कांग्रेस पार्टी के पैसे से नहीं खरीदी गईं बल्कि उसके लिए उद्योगपतियों ने भुगतान किया है और सरकारी पैसे का इस्तेमाल किया गया है. 3 अक्टूबर की सुबह इंदिरा गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई. उस समय के सीबीआई निदेशक एन.के.सिंह ने एफआईआर की एक प्रति इंदिरा गांधी को दे दी और उसी दिन उनको गिरफ्तार कर लिया गया. इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी को 'ऑपरेशन ब्लंडर' नाम दिया गया. हांलाकि गिरफ्तार से नुकसान की बजाए इंदिरा गांधी को फायदा हुआ. उनके खिलाफ जो नफरत का माहौल था, वह सहानुभूति में बदल गया.
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