आजमगढ़: SP के सुशील वोटर लिस्ट में दो जगह नाम होने की बात कह पीछे हटे, पर नियम क्या हैं?
उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में उस वक्त हलचल तेज हो गई, जब ये खबर सामने आई कि आजमगढ़ सीट से एसपी के टिकट पर…
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उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में उस वक्त हलचल तेज हो गई, जब ये खबर सामने आई कि आजमगढ़ सीट से एसपी के टिकट पर दलित नेता सुशील आनंद की जगह अब बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव चुनाव लड़ेंगे. इसके बाद सुशील आनंद ने एक पत्र साझा कर साफ किया कि उन्होंने खुद एसपी अध्यक्ष से अपना नाम वापस लेने के लिए कहा है. सुशील आनंद का दावा है कि उनका नाम दो जगह वोटर लिस्ट में है, जिसकी वजह से उनका नामांकन रद्द हो सकता था. खबर में आगे जानिए कि सुशील आनंद के इस दावे पर चुनाव आयोग के नियम क्या कहते हैं.
सबसे पहले जानिए क्या है सुशील आनंद का दावा?
सुशील आनंद ने सोमवार को एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के नाम एक पत्र जारी किया. इसमें आनंद ने अखिलेश को आभार जताते हुए कहा कि उन्होंने एक दलित परिवार के बेटे को उपचुनाव का टिकट दिया था, लेकिन दुर्भाग्य से उनका नाम गांव और शहर की वोटर लिस्ट में है. सुशील के अनुसार, उन्होंने गांव वाली लिस्ट से अपना नाम काटने का आवेदन भी किया था, लेकिन प्रशासन द्वारा अभी तक नाम हटाया नहीं गया है. आनंद ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे में अगर वह नामांकन कर भी देते हैं, तो बीजेपी सरकार के दबाव में उनका नामांकन रद्द किया जा सकता है. इसलिए पार्टी अब उनकी जगह किसी अन्य तो टिकट दे दे.
सुशील आनंद के इस दावे की हकीकत जानने के लिए हमने इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर जाकर पड़ताल की. द रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट, 1950 के नियम नंबर 17 के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत नहीं हो सकता है. वहीं, इसका नियम नंबर 18 कहता है कि किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में किसी व्यक्ति का एक से अधिक बार निबंधन नहीं किया जा सकता है.
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वहीं, इसी मुद्दे पर हमने अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में तैनात एक अधिकारी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि अगर किसी शख्स का 2 जगह वोटर लिस्ट में नाम है और इसकी जानकारी हो जाती है, तो संबंधित शख्स चुनाव में खड़े होने के लिए नामांकन पत्र नहीं भर सकता है. ऐसी स्थिति में सबसे पहले उसे किसी एक जगह से अपना नाम कटवाना होगा, जिसके बाद ही आगे की प्रक्रिया की जा सकेगी.
आपको बता दें कि आजमगढ़ में लोकसभा उपचुनाव दिलचस्प होने वाला है. क्योंकि यहां से बीजेपी ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ और बीएसपी ने गुड्डू जमाली को चुनाव मैदान में उतारा है. कांग्रेस पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह उपचुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी. मगर अब धर्मेंद्र यादव के चुनावी मैदान में आने के बाद से ही इस सीट पर लड़ाई रोचक हो गई है.
क्या है आजमगढ़ का सियासी समीकरण?
दरअसल, आजमगढ़ में मुस्लिम से ज्यादा दलित वोटर हैं और ओबीसी वोटर उससे भी ज्यादा हैं. आंकड़ों के अनुसार, आजमगढ़ लोक सभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटर 16 फीसदी, दलित वोटर 25 फीसदी और करीब 40 फीसदी ओबीसी वोटर हैं. वहीं, आजमगढ़ में सवर्ण वोटर 17 फीसदी हैं.
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अब आजमगढ़ में लोकसभा उपचुनाव में किस प्रत्याशी की जीत होगी, यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा. मगर इतना तो जरूर है कि उपचुनाव के चलते आने वाले कुछ दिनों तक यूपी का सियासी माहौल गर्म जरूर रहेगा.
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