अपने करीबी विधायक के निधन की खबर पर अस्पताल पहुंचे अखिलेश यादव, नम आंखो से सुधाकर सिंह को दी विदाई
सपा के घोसी विधायक सुधाकर सिंह का 20 नवंबर को निधन हो गया. पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव शोक व्यक्त करने मेदांता अस्पताल पहुंचे और रोते हुए परिजनों को ढांढस बंधाया. अखिलेश ने X पर पोस्ट कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
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सपा के घोसी विधायक सुधाकर सिंह अब हमारे बीच नहीं है. गुरुवार, 20 नवंबर को उन्होंने आखिरी सांस ली. सुधाकर सिंह के निधन की सूचना पर पार्टी चीफ अखिलेश यादव अस्पताल पहुंचे. नम आखों के साथ अखिलेश यादव ने सुधाकर सिंह के रोते-बिलखते परिजनों का ढांढस बढ़ाया. अखिलेश ने सुधाकर सिंह को श्रद्धांजलि भी दी. X पर पोस्ट करते हुए अखिलेश ने कहा, "घोसी विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक श्री सुधाकर सिंह जी का निधन, अत्यंत दुःखद! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें. शोक संतप्त परिजनों को यह असीम दुःख सहने का संबल प्राप्त हो. भावभीनी श्रद्धांजलि!"
सुधाकर सिंह का वैसे तो सियासी सफर काफी लंबा है. मगर साल 2023 में उनकी चर्चा खूब रही. इस साल घोसी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने भाजपा नेता दारा सिंह चौहान को चुनाव हरा दिया था. यह जीत कोई मामूली जीत नहीं बल्कि एक बड़ी जीत थी. सुधाकर सिंह ने दारा सिंह चौहान को 40 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से मात दी थी. सुधाकर सिंह 'जाइंट किलर' के रूप में सामने आए थे. उपचुनाव में सुधाकर सिंह को 124427 जबकि दारा सिंह चौहान को 81668 वोट मिले थे.
घोसी उपचुनाव में सुधाकर सिंह कैसे मिली थी जीत?
सियासी पंडितों की मानें तो घोसी उपचुनाव में भाजपा के सारे जातीय समीकरण धराशाई हो गए था. इस चुनाव में भाजपा 2022 के विधानसभा चुनाव में मिले 86 हजार वोटों तक भी नहीं पहुंच पाई. सियासी जानकारों का मानना है कि इस उपचुनाव में सपा का पीडीए यानी पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक फॉर्मूला कामयाब हो गया था. सपा की तरफ से ठाकुर प्रत्याशी को उतारा गया. इसके बाद भी सपा को पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों के वोट मिले थे.
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कौन थे सुधाकर सिंह?
यूपी विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, सुधाकर सिंह का जन्म 11 नवंबर 1958 को घोसी में हुआ था. वह धर्म से हिन्दू और जाति से राजपूत थे. उनके पिता का नाम कुलदीप सिंह था. उन्होंने स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएशन) तक शिक्षा प्राप्त की थी. उनका शादी 12 मई 1979 को चिंता देवी से हुई थी. उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी हैं.
कैसा था सुधाकर सिंह का राजनीतिक सफर
सुधाकर सिंह का राजनीतिक करियर तीन विधानसभा अवधियों तक फैला रहा:
- पहली बार निर्वाचन: वह सितंबर 1996 में तेरहवीं विधान सभा में सदस्य के रूप में पहली बार निर्वाचित हुए.
- दूसरी बार निर्वाचन: इसके बाद वह मार्च 2012 से 2017 तक सोलहवीं विधान सभा के सदस्य रहे. इस दौरान (2012-2017) वह प्राक्कलन समिति के सदस्य भी रहे.
- तीसरी बार निर्वाचन: हाल ही में वह सितंबर 2023 में अट्ठारहवीं विधान सभा के उप चुनाव में सदस्य के रूप में तीसरी बार निर्वाचित हुए थे.
सुधाकर सिंह लोकतंत्र सेनानी भी थे. वह जिला कारागार आजमगढ़ में बंदी रहे थे और उन्हें 20000 की राजनीतिक पेंशन भी मिलती थी. सुधाकर सिंह का अचानक चले जाना सपा के लिए एक गहरा झटका है. सपा ने इस घटना को अत्यंत दुखद बताया है.











