आदित्य ठाकरे के अयोध्या दौरे के मायने यहां समझिए, रामलला संग इस्कॉन मंदिर से कैसा कनेक्शन?

बनबीर सिंह

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे और राज्य की सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे बुधवार, 15 जून को अयोध्या पहुंचे. वहां वह इस्कॉन मंदिर में गए और पूचा-अर्चना की. इसके बाद वह हनुमान गढ़ी गए. हनुमान गढ़ी के बाद वह राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के दर्शन करेंगे. आइए इस रिपोर्ट में हम उनके अयोध्या दौरे के राजनीतिक निहितार्थ बताते हैं.

बीजेपी द्वारा ठाकरे परिवार पर लगातार हिंदुत्व और अपने सिद्धांतों से हटने का आरोप लगाया जा रहा है. आदित्य ठाकरे का अयोध्या दौरा इसी के संदर्भ में देखा जा सकता है. इस यात्रा के जरिए ठाकरे परिवार एक बार फिर यह जताने की कोशिश कर रहा है कि शिवसेना अभी भी अपने सिद्धांतों पर कायम है और बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व के झंडे को अभी भी थाम रखा है.

हालांकि, आदित्य पहले भी अपने पिता उद्धव ठाकरे और मां के साथ अयोध्या आ चुके हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद जब भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण हो रहा है तब ठाकरे परिवार का कोई बड़ा नेता पहली बार अयोध्या पहुंचा है.

शिवसेना के हिंदुत्व की राह से हटने के बीजेपी के आरोपों के बीच आदित्य ठाकरे की अयोध्या यात्रा के बड़े राजनीतिक मायने हैं. इस यात्रा के जरिये ठाकरे परिवार कहीं न कहीं यह संदेश देना चाहता है कि वह हिंदुत्व के मार्ग से हटा नहीं है.

इस्कॉन मंदिर और ठाकरे परिवार का रिश्ता

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यूं तो इस्कॉन मंदिर की शाखाएं दुनिया के 161 देशों में हैं. मगर 1971-72 में जब इस्कॉन मंदिर मुंबई के जुहू क्षेत्र में बन रहा था उस समय किन्हीं कारणों से उस पर संकट आ गया और गिराने तक की नौबत आ गई.

राधा-कृष्ण के इस मंदिर को बचाने के लिए बाला साहब ठाकरे सामने आए और उन्होंने इस्कॉन मंदिर पर आए संकट को टाल दिया. उस दिन के बाद ठाकरे परिवार से इस्कॉन मंदिर का जो रिश्ता बना वह आज तक कायम है.

यही नहीं बालासाहेब ठाकरे के अंतिम संस्कार के समय भी इस्कॉन मंदिर के पुजारी शांति पाठ करने गए थे. यही कारण है कि अयोध्या रामलला का दर्शन करने आ रहे आदित्य ठाकरे सबसे पहले राधा कृष्ण का दर्शन करने इस्कॉन मंदिर आ रहे हैं.

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शिवसेना बृजभूषण शरण के पास भी और दूर भी

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र और सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे के अयोध्या पहुंचने से पहले ही उनके सबसे करीबी संजय राउत तैयारियों के लिए अयोध्या पहुंच चुके थे. सोमवार को जब बृज भूषण शरण सिंह हनुमानगढ़ी पहुंचे तो उनकी वहां से निकलने के ठीक 10 मिनट बाद संजय राउत भी हनुमानगढ़ी मंदिर पहुंच गए. इसी तरह मंगलवार की शाम बृज भूषण शरण सिंह सरयू तट पर उसी भारतीय स्थल पर पहुंचे जहां आदित्य ठाकरे को आरती करनी थी, लेकिन संजय राउत बृजभूषण शरण सिंह के निकलने के बाद सरयू तट पहुंचे.

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सूत्रों की मानें तो बृज भूषण शरण सिंह और संजय राउत के बीच कई बार बात हुई है, लेकिन कैमरे और लोगों के सामने मिलने से दोनों ने परहेज किया. हालांकि, शिवसेना नेता संजय राउत ने अयोध्या में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बार-बार बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह को अपना मित्र बताया है और पुराने संबंध होने का जिक्र भी किया है.

अब बात की जाए मिलने की तो उससे परहेज की एकमात्र वजह यह है कि बृजभूषण शरण सिंह ही वह बीजेपी नेता हैं जिन्होंने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के अयोध्या आने का विरोध किया था. यही कारण था कि राज ठाकरे तो विवादों से बचने के लिए अयोध्या नहीं आए, लेकिन आदित्य ठाकरे अयोध्या में हैं, दर्शन पूजन कर रहे हैं और उनका स्वागत भी हो रहा है.

सबसे बड़ी बात बृजभूषण शरण सिंह की मौजूदगी भी अयोध्या में दिखाई दे रही है. ऐसे में अगर दोनों एक दूसरे के सामने आते तो उस आधार को बल मिलता जिसको लेकर कहा जा रहा था कि बृजभूषण शरण सिंह और शिवसेना की कहीं कोई डील तो नहीं!

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