आजम खान क्यों बोले ‘मैं हार्दिक पटेल नहीं’? क्या अखिलेश से हैं नाराज, खुद उनसे ही जानिए

आशीष श्रीवास्तव

ADVERTISEMENT

UpTak
UpTak
social share
google news

27 महीने बाद जेल से रिहा हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक और पूर्व मंत्री आजम खान ने 88 मुकदमों और अपनी जेल यात्रा को लेकर यूपी तक से खास बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर दर्ज 90 फीसदी मुकदमों में मेहरबानियों तो अपनों की है, इस घर को तो घर के चिराग से आग लगी है. साथ ही कहा कि मैं अखिलेश यादव से नाराज नहीं हूं और न ही ‘हार्दिक पटेल’ हूं.

पढ़िए आजम खान का ये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू-

जेल जाने से पहले और 27 महीने बाद जेल से बाहर निकलने के बाद रामपुर और उत्तर प्रदेश की फिजा कैसी लग रही है?

लंबी थी गम की रात मगर रात ही तो थी, सवेरा तो होना ही था.

जेल में बहुत लोग आपसे मिलने नहीं पहुंच पाए, क्या कहना चाहेंगे?

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

जेल के बाहर के माहौल में हमें कोई खबर ही नहीं मिला पा रही थी, हम पर इतनी पाबंदियां थीं, जिन्हें जेल अथॉरिटी मिलने की इजाजत देती थी, उनसे ही मुलाकात हो पाती थी. जिसने साथ दिया उनका शुक्रिया, जिन्होंने नहीं दिया उनका भी शुक्रिया.

आपके अपने लोग नहीं पहुंचे थे?

ADVERTISEMENT

मेरे अपने लोग तो कल आए ही थे, मेरे पास अपनों की कमी नहीं थी, मुझे माफिया कहा गया था, लेकिन जहां बैठे हैं (मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी) यही मेरी जुर्म है. जेल में रहकर जितने मुझे वोट मिले, उतने बाहर रहकर नहीं मिले.

अब आप आगे की कानूनी लड़ाई कैसे लड़ेंगे?

ADVERTISEMENT

झूठ, झूठ होता है… सच, सच होता है… सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह का फैसला सुनाया है, वह ऐतिहासिक है. जिस संवैधानिक धारा का हवाला देकर मुझे अंतरिम जमानत मिली है, उसकी आजाद भारत की पहली मिसाल हूं. शायद ही उत्तर प्रदेश का कोई ज्यूडिशियल अफसर हो, उसे सच्चाई पता है.

आपके ऊपर कई मुकदमे हैं?

मेरे ऊपर कोई ऐसा मुकदमा नहीं है, उस वक्त के अधिकारियों का जो स्तर था… क्योंकि मैंने मुर्गी चुराई है या नहीं है… बकरी चोरी चुराई है या नहीं है… मंत्री रहते शराब की दुकान लूटी है (हंसते हुए)… जो उनका स्तर था, वैसे मुकदमे हैं… कोई मुकदमा ऐसा नहीं है, जो किसी ऐसी धारा का हो.. मेरी गाड़ी से किसी को कोई खरोंच नहीं आई है.. मेरे ऊपर 151 का मुकदमा भी नहीं है, लेकिन 20 दिन में मैं सबसे बड़ा अपराधी हो गया. यह सेट प्रोग्राम था, मैं इलेक्शन का एजेंडा था और मुझे कोई शिकायत नहीं है, इसलिए क्योंकि मेरे ऊपर दर्ज 90 फीसदी मुकदमों में मेहरबानियों तो अपनों की है, इस घर को तो घर के चिराग से आग लगी है.

ऐसे कौन अपने हैं?

जिनके माथे पर बड़े-बड़े निशान हैं.

आपसे जेल में मिलने शिवपाल सिंह यादव पहुंचे थे. अखिलेश यादव नहीं मिलने पहुंचे. आखिर क्या वजह रही?

अब उनके सामने क्या वजह रही होगी, मुझे नहीं पता… और जिला प्रशासन की बड़ी पाबंदियां थीं… मैं तो किसी से मिल ही नहीं सकता था, क्योंकि बड़ी पाबंदियां थीं. मुझे बाहर की दुनिया के बारे में कुछ नहीं पता… बहुत छोटी से कब्र में रहता था, जिसमें अंग्रेज फांसी देने से एक दिन पहले रखा करते थे. उस कोठरी में रहता था.

जेल में रहकर ऐतिहासिक वोटों से चुनाव जीते हैं?

मुझे हर बार प्यार मिलता रहता है… 41 सालों से मुझे प्यार मिल रहा है, 11 बार चुनाव जीता हूं, जिसमें एक बार लोकसभा जीता हूं… किसी बड़े नेता के पास रिकॉर्ड नहीं है.

समाजवादी पार्टी या अखिलेश यादव से कोई नाराजगी है? शिवपाल यादव को लेकर क्या कहेंगे?

कोई नाराजगी नहीं है, मेरे उन्होंने क्या बिगाड़ा है जो नाराजगी होगी. मैं सपा का अदना सा कार्यकर्ता हूं, मैं बड़े लोगों पर टिप्पणी नहीं कर सकता हूं.

ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में क्या बोलेंगे?

मुझे कुछ मालूम भी हो जाए तो मैं क्या कर सकता हूं. जो चल रहा है, वो आप भी देख रहे हैं. बाबरी मस्जिद और ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में फर्क यह है कि बाबरी की लड़ाई चार दहाई चली और इसमें (ज्ञानवापी) सिविल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सारी प्रक्रिया एक साथ चली और चल रही है… ऐसे हालात में न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ किसी को भी नहीं बोलना नहीं चाहती. अभी नहीं किसी को कोई कमेंट नहीं करना चाहिए. माहौल अच्छा रहना चाहिए.

आगे क्या दिशा होगी?

अभी तो अपनी दशा ठीक कर लूं, दिशा के बारे में आगे सोचूंगा.

सपा में रहेंगे?

मैं हार्दिक पटेल नहीं हूं.

यूपी में बाबा का बुल्डोजर चलने पर क्या कहेंगे?

हमारे साथ क्राइम का शब्द मत जोड़िए.

जेल से रिहा होने के बाद आजम खान बोले- ‘मेरी तबाहियों में मेरे अपनों का बड़ा योगदान है’

    Main news
    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT