दिनेश खटीक के इस्तीफे की पेशकश पर अखिलेश बोले- ‘बुल्डोजर कभी-कभी उल्टा भी चलता है’

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समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उत्तर प्रदेश सरकार के जलशक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक (Dinesh Khatik)…

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समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने उत्तर प्रदेश सरकार के जलशक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक (Dinesh Khatik) के इस्तीफे की पेशकश पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, “जहां मंत्री होने का सम्मान तो नहीं परंतु दलित होने का अपमान मिले…ऐसी भेदभावपूर्ण भाजपा सरकार से त्यागपत्र देना ही अपने समाज का मान रखने के लिए यथोचित उपाय है. कभी-कभी बुल्डोजर उल्टा भी चलता है.”

वहीं एक दूसरे ट्वीट में अखिलेश ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “यूपी भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार और कुशासन की क्रॉनॉलॉजी समझिए: – पहले लोक निर्माण विभाग के मंत्रालय में विद्रोह – फिर स्वास्थ्य मंत्रालय में विद्रोह – अब जल शक्ति मंत्रालय में विद्रोह. जनता पूछ रही है, यूपी की भाजपा सरकार ईमानदारी से बताए… अब अगली बारी किसकी है?”

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मंत्री दिनेश खटीक ने अमित शाह को लिखा पत्र

बता दें कि बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार के जलशक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक ने विभागीय अधिकारियों द्वारा अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की. खटीक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) को पत्र लिखकर इस्तीफे की इच्छा जाहिर की. उन्होंने पत्र की एक कॉपी सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजभवन को भी भेजी है. हालांकि, सरकार और बीजेपी पार्टी की तरफ से अभी तक खटीक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है.

खटीक का यह पत्र सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. वहीं, इस बारे में उनके पैतृक जिले मेरठ में जब संवाददाताओं ने इस्तीफे के बारे में मंत्री खटीक से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए सवाल किया तो उन्होंने कहा, “ऐसा कोई विषय नहीं हैं.” मेरठ में उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि मंत्री दिल्ली गए हैं.

पत्र में मंत्री ने लगाए गंभीर आरोप

पत्र में दिनेश खटीक ने आरोप लगाते हुए कहा कि जल शक्ति विभाग में दलित समाज का राज्य मंत्री होने के कारण उनकी किसी भी आदेश पालन नहीं हो रहा और कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.

दिनेश खटीक ने इस पत्र में आरोप लगाया कि दलित होने की वजह से विभाग में उनकी सुनवाई नहीं होती और न ही किसी बैठक की सूचना उन्हें दी जाती है.

मंत्री ने ट्रांसफर के मामलों में बड़े भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. मंत्री के अनुसार गड़बड़ी को लेकर जब उन्होंने अधिकारियों से जानकारी मांगी तो उन्हें अबतक जानकारी नहीं दी गई.

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