‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी और राकेश टिकैत के बीच मुलाकात में क्या हुआ?

कुमार कुणाल

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जब किसान नेता राकेश टिकैत की कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की तस्वीर सामने आई तो हर किसी के जेहन में यही सवाल आया कि क्या खुद को अराजनैतिक बताते हुए यात्रा से दूरी बनाने वाले टिकैत का अब मन बदल गया है? क्या ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की भीड़ देखकर राहुल गांधी के अब वो साथ हो लिए हैं? जैसा पहले से ही योगेंद्र यादव सरीखे किसान नेता कर रहे हैं.

टिकैत की मुलाकात राहुल गांधी से यूपी में नहीं हुई जब वो बागपत, बड़ौत और शामली जैसे इलाकों से गुजरे, बल्कि टिकैत की मीटिंग की टाइमिंंग हरियाणा में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के आखिरी दिन के लिए रखी गई.

इस दौरान टिकैत और राहुल हाथ में हाथ डालकर चलते नजर आए. यूपी तक से खास बातचीत में राकेश टिकैत ने बताया कि वो बस राहुल के साथ दो कदम ही चले और बाकी बातचीत बंद कमरे में ही हुई.

राहुल-टिकैत के बीच क्या हुई बातचीत

‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल हुए राकेश टिकैत मानते हैं कि राहुल गांधी की यात्रा ने बहुत सारे लोगों को जोड़ने में कामयाबी हासिल की है, लोगों को एक प्लेटफॉर्म भी दिया है. लेकिन जब टिकैत की मुलाकात राहुल से हुई तो टिकैत ने कांग्रेस शासित राज्यों में किसानों की समस्या को लेकर कई सारी मांग राहुल गांधी के सामने रखी.

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राकेश टिकैत बताते हैं कि उन्होंने छत्तीसगढ़ के उन किसानों की बात उठाई जिनकी जमीन पर राज्य की नई राजधानी बन रही है और किसानों को सही मुआवजा नहीं मिला. राहुल से जब बात हुई तो टिकैत का कहना है कि उन्हें हिमाचल प्रदेश में सेब के किसानों की समस्याओं को लेकर भी उन्होंने आगाह किया. बात जम्मू और कश्मीर से लेकर राजस्थान के किसानों की भी हुई.

लेकिन जब हमने राकेश टिकैत से पूछा कि ये तो उनकी मांग थी लेकिन राहुल ने इस बैठक में क्या बात की, तो टिकैत बताते हैं कि राहुल गांधी ने उन्हें बताया कि यात्रा के दौरान किसानों के बेटे जब उन्हें मिले तो कोई डॉक्टर बनना चाहता था तो कोई इंजीनियर, लेकिन किसान कोई नहीं बनना चाहता. तो राहुल गांधी ने ऐसी नीति की बात की ताकि युवा किसानी की तरफ आ सकें. साथ ही साथ, न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी राहुल गांधी ने आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी की किसान मामलों की कमेटी पार्टी की घोषणापत्र में एमएसपी के फॉर्मूले को जगह देगी.

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तो क्या राकेश टिकैत कांग्रेस के करीब आ गए हैं?

राकेश टिकैत ने इस मुलाकात को पूरी तरह से अराजनैतिक बताया और ये भी कहा कि राजनीतिक दलों से उनकी मुलाकात होती रहती है और इस मुलाकात को भी उसी रूप में देखना चाहिए. टिकैत ने कहा कि उन्हें बीजेपी समेत किसी भी राजनीतिक दल से बातचीत करने में किसी किस्म का परहेज नहीं है जब तक वो किसानों से जुड़े मुद्दों पर बात करें.

2024 के चुनावों को लेकर टिकैत बताते हैं कि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी हैं इसलिए वो देश के अलग-अलग हिस्सों में जा रहे हैं. जहां तक किसान वोट बैंक का सवाल है तो अलग-अलग किसानों का झुकाव अलग राजनीतिक दलों के लिए होता है इसलिए किसान संगठन किसी को वोट करने के लिए नहीं बोलते. लेकिन टिकैत ने माना कि सरकार को लेकर किसानों में गुस्सा है और वो आने वाले चुनावों में वोट के जरिए उसका इजहार भी करेगा.

आगे की क्या है रणनीति?

टिकैत ने बताया कि 26 जनवरी को किसान संगठन हरियाणा के जींद में एक ट्रैक्टर रैली करेंगे, जिसमें अलग-अलग राज्यों से किसान आएंगे. दो साल पहले 26 जनवरी को ही दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाली गई थी जो हिंसक हो गई थी. हालांकि, टिकैत उसके लिए सरकार को ही जिम्मेदार बताते हैं.

उन्होंने कहा कि 28 जनवरी को यूपी के मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन एक अनिश्चितकालीन धरना शुरू करेगा जो गन्ना की कीमत, एमएसपी और किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए मामलों को वापस लेने को लेकर होगा. मार्च के महीने में दिल्ली में भी एक महापंचायत का आयोजन होगा.

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भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए राकेश टिकैत, राहुल गांधी के साथ की इन मुद्दों पर चर्चा

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