लखनऊ: राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने बताया कि यदि वे चुने गए तो क्या करेंगे?

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पत्रकारों से रूबरू हुए. इस मौके पर उन्होंने देश के वर्तमान हालातों पर चर्चा करते हुए बताया कि यदि वे राष्ट्रपति बने तो क्या करेंगे. राज्यों में चुनी हुई सरकारों को गिराने, प्रेस की आजादी समेत अनेक मुद्दों पर उन्होंने बताया कि यदि वे होते तो क्या करते. इस मंच से उन्होंने पत्रकार जुबैर की गिरफ्तारी और दूसरे राज्यों में पत्रकारों पर हो रहे आक्रमण की निंदा की. गौरतलब है कि यूपी में इस पड़ाव के बाद यशवंत सिन्हा गुजरात और इसके बाद कश्मीर जाएंगे.

लखनऊ में गुरुवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी समेत सपा और सहयोगी दल के विधायक के साथ राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की मीटिंग हुई. इसके बाद शाम को प्रेस कांफ्रेंस में यशवंत सिन्हा पत्रकारों से रूबरू हुए. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि कल सरकार की उम्मीदवार भी शहर में होंगी. उनसे भी बात करिएगा. उनसे आर्थिक नीति, विदेश नीति और समाज में जो हो रहा है उसपर उनके उद्गार क्या हैं, ये पूछिएगा. यशवंत सिन्हा ने कहा- ‘मैं जहां भी जाता हूं तो पूछता हूं कि उन्होंने कुछ बोला.’ यशवंत सिनहा का ये इशारा राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की तरफ था.

असाधारण परिस्थितियों में हो रहा राष्ट्रपति चुनाव

यशवंत सिन्हा ने कहा- इस बार राष्ट्रपति चुनाव असाधारण परिस्थितियों में हो रहा है. ऐसा लगता है हमारा समाज दो-तीन भागों में बंट गया है. ऐसा लगता है कि जो डायलॉग आपस में था वो बंद है. पीएम मन की बात करते हैं पर ऐसी घटनाओं पर चुप रह जाते हैं. बोलते नहीं हैं. पता नहीं क्या बात है कि इसपर वे बोलते ही नहीं हैं. एक अशांत और असाधारण परिस्थिति देश में पैदा हो गई है. नतीजा ये हुआ कि संविधान की मर्यादा खत्म हो गई है. हर रोज सरकारी पार्टियों के द्वारा मूल्यों की अवहेलना की जा रही है. ऐसा चलता रहा तो हम पाएंगे कि संविधान नष्ट हो गया है. जो नागरिक हैं वो किसी भी फोरम पर इंसाफ के लिए नहीं जा पाएगा.

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यशवंत सिन्हा ने कहा- ‘धारा 370 का मामला 2019 में सुप्रीम कोर्ट में गया. आज 2022 है. इसकी सुनवाई कब होगी. किसी को नहीं पता. सीएए के खिलाफ लोग कोर्ट गए पर सुनवाई कब होगी, पता नहीं है. जस्टिस डिलेड इस जस्टिस डिनाइड. इंसाफ नहीं मिल रहा है. ऐसा लगता है कि हुकूमत में बैठे लोग चाहते हैं कि समाज बंटे. ये वोट की राजनीति हम लोगों को कहां और किस हद तक ले जाना चाहती है.

राष्ट्रपति बना तो….

यशवंत सिन्हा ने कहा- जो भी व्यक्ति राष्ट्रपति भवन में जाएगा उसको मोर दैन एवर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना पड़ेगा. उसके पास बहुत सारी शक्तियां हैं, जो उस पद से उसकी गरिमा से उसको मिलती हैं. समय-समय पर ऐसे राष्ट्रपति बने हैं जो सरकार को परामर्श देने और नियंत्रण में रखने का काम किया है. मैं राष्ट्रपति चुना जाता हूं तो केवल संविधान के प्रति जवाबदेह हाऊंगा.

इसका मतलब ये नहीं कि पीएम के साथ टकराव…

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यशवंत सिन्हा ने साफ करते हुए कहा- ”इसका ये मतलब ये नहीं कि पीएम के साथ टकराव के रास्ते पर चल पड़ें ऐसा नहीं. उनके साथ बैठकर बातचीत का रास्ता निकाला जा सके. मैं राष्ट्रपति भवन में संविधान के रक्षक के रूप में काम करूंगा. अगर मेरे ध्यान में ऐसी बात आएगी कि प्रजातंत्र का हनन हो रहा है. जैसे चुनी हुई सरकारों को गिराना. महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, मेघायल समेत कई राज्यों में. ऐसा नहीं है कि ढाई साल के बाद महाराष्ट्र के विधायकों को ज्ञान प्राप्त हो गया. हम सब जानते हैं कि क्या खेल हुआ. ऐसा होता है तो मैं ऐसा करूंगा जिससे भारत सरकार को ये सब करने से रोका जा सके. समाज का बंटवारा हो रहा है. इसे रोकूंगा.”

यशवंत सिन्हा ने प्रेस से किया एक वादा

यशवंत सिन्हा ने कहा ‘मैं वादा करके जा रहा हूं. प्रेस का क्या हाल है. न आपसे छिपा है और न हमसे छिपा है. मैं जुबैर का गिरफ्तारी की निंदा करता हूं. बाकी राज्यों में प्रेस पर भी जो आक्रमण हो रहा है. उसकी निंदा करता हूं.’ सिन्हा ने आगे कहा- ‘भारत को आज खामोश नहीं बल्कि विवेक का इस्तेमाल करने वाला राष्ट्रपति चाहिए.’

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यशवंत सिन्हा ने कहा- ”पिछले पांच साल से राष्ट्रपति भवन में एक खास समुदाय के राष्ट्रपति हैं. क्या उस पूरे समुदाय की तरक्की पूरे देश या प्रदेश में हो गई? क्योंकि एक व्यक्ति के उत्थान से पूरे समुदाय का उत्थान नहीं होता है.

राष्ट्रपति पद के नाम पर मेरा नंबर चौथा था- सिन्हा

यशवंत सिन्हा ने बताया कि जिस बैठक में तय हुआ था मेरा नाम उसमें अखिलेश जी थे, जयंत जी थे, जब मेरे नाम की बात आई. शरद पवार जी और खड़गे जी ने फोन किया. बोले- हमने तय किया है, आप इसको स्वीकार कीजिए. मैंने हामी भर दी. विपक्षी दलों ने तय किया. मायावती जी उस बैठक में नहीं था. उन्हें इन्विटेशन भी नहीं था. हालांकि पहले शरद पवार जी का नाम आया. उन्होंने मना कर दिया. फिर फारुख अब्दुला और इसके बाद गोपाल गांधी का नाम आया. सबने मना कर दिया. चौथे नंबर पर मेरा नाम आया. मैंने हामी भर दी.’

बेटे के सवाल पर यशवंत सिन्हा ने कही ये बात

एक सवाल कि बेटा बीजेपी सांसद है तो वोट किसे? इसपर यशवंत सिन्हा ने कहा- मैं उम्मीद करता हूं कि वो राजधर्म का पालन करेंगे जैसे मैं राष्ट्रधर्म का पालन कर रहा हूं. बुल्डोजर के सवाल पर यशवंत सिन्हा ने कहा- अखिलेश जी बगल में बैठे हैं. इन्होंने भी बुल्डोजर का इस्तेमाल किया पर वर्ल्ड क्लास सड़कों को बनाने के लिए. समुदाय विशेष का घर गिराने के लिए बुल्डोजर का इस्तेमाल? इससे ज्यादा भर्त्सना नहीं की जा सकती है.

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