केशव मौर्य ने छेड़ा यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र! बताया क्या है BJP और UP सरकार का प्लान

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उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की पैरवी कर, सूबे के राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है. उन्होंने कहा है कि यूपी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है. मौर्य के मुताबिक, देश के अन्य राज्यों में जहां भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार है, वहां पर यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर गंभीरता से विचार चल रहा है. आपको बता दें कि उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार करने के लिए समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में सूबे के उपमुख्यमंत्री ने कहा,

“सबका साथ, सबका विकास के तहत सबके लिए एक जैसा काम हो रहा है, तो यूनिफॉर्म सिविल कोड भी लागू होना चाहिए. हमारी सरकार इस पक्ष में है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड इस देश और उत्तर प्रदेश के लिए बहुत जरूरी है.”

केशव प्रसाद मौर्य

उन्होंने आगे कहा, “बीजेपी के जो प्रमुख मुद्दे रहे हैं, उनमें धारा 370, राम मंदिर निर्माण और यूनिफॉर्म सिविल कोड है. विपक्ष साथ देगा तो अच्छा है. अगर विपक्ष साथ नहीं देगा, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस पर विचार नहीं करेंगे. धारा 370 हटाने में भी विपक्ष ने साथ नहीं दिया, उसके बाद भी हटाई गई और यूनिफॉर्म सिविल कोड भी लागू किया जाएगा.”

गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी (एसपी) से नाराजगी के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से कथित तौर पर नजदीकियां बढ़ा रहे वरिष्ठ प्रसपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने अंबेडकर जयंती के मौके पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का समर्थन किया था.

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उन्होंने कहा था,

“डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने समान नागरिक संहिता की आवाज संविधान सभा में उठाई थी. लोहिया जी ने भी संसद में आवाज उठाई थी तो हम लोग आज उनकी जयंती के शुभ अवसर पर समान नागरिक संहिता की आवाज बुलंद कर रहे हैं.”

शिवपाल सिंह यादव

उन्होंने यह भी कहा, “हम लोगों को चाहे आंदोलन चलाना पड़े, कुछ भी करना पड़े, लोहिया जी और अंबेडकर जी ने जो भी सपने देखे थे, हम उनकी आवाज उठाकर अपने संगठन को मजबूत करते हुए आगे बढ़ेंगे.”

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उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने किया समिति का गठन

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ दिन पहले मीडिया से बातचीत में कहा था, “उत्तराखंड मंत्रिमंडल द्वारा समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए समिति के गठन को मंजूरी देने के साथ ही इसे लागू करने की दिशा में पहला कदम उठाया जा चुका है.”

धामी ने कहा कि दो देशों से अंतरराष्ट्रीय सीमाएं लगी होने तथा उत्तराखंड के हर परिवार से किसी न किसी के फौज में होने के कारण प्रदेश के लिए समान नागरिक संहिता बहुत जरूरी है.

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