वाराणसी: भीषण गर्मी में महाश्मशान पर लगी शवों की कतार, न सिर पर छप्पर न दो घूंट पानी
भीषण गर्मी के सितम से न केवल जीते जी लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि मौत के बाद भी मोक्ष की…
ADVERTISEMENT
भीषण गर्मी के सितम से न केवल जीते जी लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि मौत के बाद भी मोक्ष की कामना के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. बढ़ती गर्मी के चलते काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शवों के आने का सिलसिला बढ़ चुका है. शवयात्रियों को शवों के साथ चिलचिलाती धूप में घाट की सीढ़ियों पर नंबर लगाकर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. शवदाह करने वालों की मानें तो जगह फुल हो जाने के चलते शवयात्रियों को इंतजार करने की मजबूरी है. इसके अलावा घाट पर ना तो छांव की व्यवस्था है और ना ही पेयजल की.
यूं तो काशी मोक्ष की नगरी इसलिए जानी जाती है, क्योंकि मान्यता है कि यहां मिली मौत के बाद सीधे मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं और यहीं वजह है कि काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर चिता की आग कभी ठंडी नहीं पड़ती है. शवदाह का काम चौबीसों घंटे चलता रहता है, लेकिन भीषण गर्मी में अब ऐसी मोक्ष की कामना भी बेमानी साबित हो रही है. भयानक गर्मी के चलते महाश्मशान पर शवों के आने का सिलसिला इतना बढ़ गया है कि गंगा घाट की सीढ़ियों पर दर्जनों शव मुक्ति की बाट जोहते दिख जा रहें हैं और उनके साथ शवयात्रियों की भी अग्निपरीक्षा खुले आसमान के नीचे जारी है.
आलम यह है कि शवदाह के लिए नंबर लग रहें हैं. एक नंबर आने में 4-4 घंटे तक का वक्त लग जा रहा है. आजमगढ़ से आने वाले शवयात्री सौमित्र उपाध्याय अपनी बड़ी मां के शव को लेकर मणिकर्णिका घाट पर पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि शवदाह के लिए ढाई-तीन घंटे से उनको इंतजार करना पड़ा है क्योंकि बताया जा रहा है कि जगह नहीं है और नंबर मिला हुआ है. छांव और पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए. दाह संस्कार के लिए और जगह होनी चाहिए.
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
आजमगढ़ से ही आए शवयात्री हरिमोहन ने बताया कि वे भी अपने शव के साथ डेढ घंटे से इंतजार कर रहें हैं और अभी भी बताया जा रहा है कि और ढाई-तीन घंटे का वक्त लगेगा. पूछने पर बताया जा रहा है कि गर्मी के चलते शव ज्यादा आ रहें हैं. पानी, बैठने और शवदाह के लिए ज्यादा जगह की व्यवस्था होनी चाहिए. एक अन्य शवयात्री दीपक विश्वकर्मा की मानें तो उनको भी घंटो से इंतजार करना पड़ रहा है, क्योंकि भीड़ ज्यादा है और व्यवस्था पूरी है नहीं. दो घंटे से धूप में खड़े हैं. मोक्ष के लिए भी लाइन लगाकर नंबर लगाना पड़ रहा है.
शवदाह करने वाले डोम परिवार के सदस्य राजेश चौधरी की मानें तो आम दिनों की अपेक्षा 10-20 शव प्रतिदिन बढ़ गए हैं. आम दिनों में 30-35 शव आते थे तो अभी गर्मी में 40-50 शव आ रहें हैं. गर्मी से सबसे ज्यादा दिक्कत यह हो रही है कि गंगा की दूरी बढ़ गई है. जिसकी वजह से गंगा का पानी लाकर चिता को बुझाने में परेशानी हो रही है और वक्त भी लग रहा है.
नगर निगम की तरफ से न तो बैठने की ही सुविधा है और न ही पेयजल की ही सुविधा शवयात्रियों को है. वे बताते हैं कि एक बॉडी के जलने में ढाई से तीन घंटे का वक्त लग जाता है. 12 चूल्हा नीचे है तो ऊपर की ओर 10 हैं और जब वह खाली होगा तभी दूसरा शव रखा जाएगा. फिलहाल स्थिति तब तक सामान्य होती नहीं दिख रही है जब तक मौसम ठीक न हो जाए.
ADVERTISEMENT
वाराणसी: मुस्लिम महिला ने सपने में पाए भगवान शिव, फिर बदल गई पूरी जिंदगी
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT